इस तरह के मामलों में मध्यप्रदेश सचमुच गजब है। बुरहानपुर जिले में एक चपरासी ने अपने निजी कार्य के लिए जमीन खरीदी और इसका भुगतान सरकारी खजाने से किया गया। अब कहा जा रहा है कि केवल चपरासी इसके लिए जिम्मेदार है।
चपरासी के कहने पर ट्राइबल अधिकारियों ने 15 लाख का डीडी बनवा दिया
आदिम जाति कल्याण विभाग में हुए करीब दस करोड़ के गबन मामले में शनिवार को पुलिस ने एक और खुलासा किया है। पुलिस अधीक्षक राहुल लोढ़ा ने बताया कि विभाग के चपरासी मनोज पाटिल ने अपने भाई प्रमोद पाटिल के नाम से बड़झिरी में तीन एकड़ जमीन खरीदी थी। इसके बदले भूमि स्वामी जाहिदा बी को विभाग के सरकारी खाते से डीडी बनवा कर 15 लाख रुपये का भुगतान किया था।
पाटिल ने पाटिल के साथ मिलकर डिपार्टमेंट को खूब चूना लगाया
बुरहानपुर में आदिम जाति कल्याण विभाग के नर्मदा झाबुआ ग्रामीण बैंक के इस खाते का उपयोग छात्रावास व अन्य भवनों की मरम्मत के लिए किया जाता है। उन्होंने बताया कि मनोज पाटिल ने वर्ष 2010 से 2017 के बीच सहायक आयुक्त कार्यालय में चपरासी रहते लेखा शाखा प्रभारी नारायण पाटिल के साथ मिल कर सेल्फ चेक से करीब ढाई करोड़ रुपये निकाले थे। पुलिस चपरासी मनोज पाटिल को पहले ही गिरफ्तार कर जेल भेज चुकी है। उसका भाई प्रमोद अभी फरार है। उसकी गिरफ्तारी के लिए पुलिस लगातार छापेमारी कर रही है।
असिस्टेंट कमिश्नर भी जांच की जद में
उल्लेखनीय है कि आदिम जाति कल्याण विभाग में हुए करोड़ों के गबन का राज एक शिकायत की जांच से हुआ था। लालबाग थाना पुलिस ने विभाग का रिकॉर्ड जब्त कर उसे खंगाला तो बड़ा घोटाला सामने आ गया। इस मामले में पुलिस लेखा शाखा प्रभारी नारायण पाटिल और चपरासी मनोज पाटिल सहित पांच लोगों को अब तक गिरफ्तार कर चुकी है। इस अवधि में पदस्थ रहे सहायक आयुक्तों से भी पुलिस पूछताछ कर रही है। जिससे यह पता लगाया जा सके कि इस घोटाले में उनकी क्या भूमिका थी।
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