सन 2018 से शुरू हुई मध्य प्रदेश शिक्षक भर्ती प्रक्रिया विवादों, शिकायतों और नियमों में संशोधन के साथ निरंतर जारी है। ताजा मामला 40% का है। शिक्षक पात्रता परीक्षा में क्वालीफाई करने के लिए 50% और चयन परीक्षा क्वालीफाई करने के लिए 40% न्यूनतम अंक निर्धारित किए गए हैं। कुछ उम्मीदवारों का कहना है कि यह अन्याय है। कुछ उम्मीदवार न्यायालय की शरण में चले गए हैं। हाईकोर्ट के अधिवक्ता श्री अमित चतुर्वेदी का कहना है कि, कोर्ट में इस तरह के केस काफी कमजोर होते हैं।
मध्य प्रदेश शिक्षक भर्ती न्यूनतम प्राप्तांक मामले में नियम क्या कहते हैं
अधिवक्ता श्री अमित चतुर्वेदी ने कहा कि, मध्य प्रदेश राज्य स्कूल शिक्षा संवर्ग की सेवा शर्तें एवं भर्ती नियम 2018 और जनजाति कार्य विभाग के प्रावधानों के अनुसार उनके द्वारा संचालित स्कूलों में शिक्षकों की नियुक्ति हेतु भर्ती परीक्षा में न्यूनतम 50% प्राप्तांक बाध्यकारी है। यानी अनिवार्य है। सरकार ने इस प्रक्रिया को दो हिस्सों में बांट दिया है। पहली पात्रता परीक्षा और दूसरी चयन परीक्षा। शासन स्तर पर यह जरूरी है कि दोनों में से किसी एक परीक्षा में न्यूनतम प्राप्तांक 50% होना चाहिए। यदि पात्रता परीक्षा में न्यूनतम प्राप्तांक 50% से कम किए जाएंगे तो चयन परीक्षा में न्यूनतम प्राप्तांक 50% करने पड़ेंगे।
कोर्ट में जो याचिका लगाई है उसका क्या होगा
श्री चतुर्वेदी ने कहा कि निर्णय विद्वान न्यायाधीशों के हाथ में होता है परंतु ज्यादातर मामलों में देखा गया है कि हाईकोर्ट इस प्रकार के मामलों में दखल नहीं देता। जब तक कि कोई नीति अथवा नियम भेदभाव पूर्ण हो, उसे संशोधित करने अथवा बदलने के लिए नहीं कहा जा सकता। यदि सरकार ने निर्धारित किया है कि शिक्षक भर्ती के लिए न्यूनतम प्राप्तांक 50% होना चाहिए, तो इसमें कुछ भी भेदभाव पूर्ण नहीं है और यह परंपरा लगातार चली आ रही है।
मध्य प्रदेश शिक्षक भर्ती उम्मीदवारों को राहत कहां से मिलेगी
अब सवाल यह है कि सरकार ने एक भर्ती परीक्षा के बजाय दो परीक्षाएं स्थापित कर दी है। यदि दोनों परीक्षाओं को एक ही प्रक्रिया का हिस्सा माना जाए तो दोनों परीक्षाओं में 25-25 प्रतिशत प्राप्तांक काफी हैं। जब दोनों परीक्षाओं का प्रतिफल सिर्फ एक(शिक्षक भर्ती) है तो दोनों परीक्षाओं का अस्तित्व अलग-अलग कैसे हो सकता है। अधिवक्ता श्री चतुर्वेदी का कहना है कि यह शासन स्तर का मामला है। सरकार चाहे तो नियमों में बदलाव कर सकती है, लेकिन न्यायालय नियमों में बदलाव नहीं कर सकता। उम्मीदवारों को सरकार से संवाद करना चाहिए।
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