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मध्य प्रदेश राज्य सूचना आयोग के आयुक्त श्री राहुल सिंह ने राजधानी भोपाल के मिसरोद थाने के टीआई श्री राज बिहारी शर्मा को अनुशासनिक कार्रवाई अथवा ₹25000 जुर्माना के लिए कारण बताओ नोटिस जारी किया है। टीआई शर्मा पर आरोप है कि उन्होंने, बेतुका बहाना बनाकर सूचना का अधिकार के तहत मांगी गई जानकारी को देने से मना किया।
RTI के तहत कौन सी जानकारी मांगी थी और क्या हुआ, पढ़िए
भोपाल के श्री मनीष भट्ट ने एक RTI आवेदन दायर कर सहायक पुलिस आयुक्त मिसरोद श्री अमित कुमार मिश्रा से तीन बिंदुओं की जानकारी मांगी थी। इसमें मिसरोद थाने के 3 दिन के रोजनामचा से लेकर थाने के वाहनों के लॉग बुक और ड्यूटी रजिस्टर की कॉपी भी मांगी थी। श्री अमित कुमार मिश्रा ने जानकारी उपलब्ध कराने के लिए RTI आवेदन को थाना प्रभारी मिसरोद श्री राज बिहारी शर्मा को भेज दिया था। पर श्री शर्मा ने जानकारी उपलब्ध नहीं कराई। तब श्री मनीष भट्ट ने प्रथम अपील दायर कर दी। पुलिस उपायुक्त जोन 2 सुश्री श्रद्धा तिवारी ने प्रथम अपील में सुनवाई के बिना मिसरोद थाना प्रभारी श्री राज बिहारी शर्मा से जवाब लेकर श्री मनीष भट्ट को भिजवा दिया। श्री शर्मा ने जानकारी यह कहते हुए देने से मना कर दिया कि इस जानकारी में विश्वास, व्यापार, गोपनीयता और बौद्धिक संपदा जैसी सूचना शामिल है। इसको देने से किसी किसी तीसरे पक्ष की प्रतियोगी स्थिति को नुकसान पहुंचेगा इसीलिए जानकारी देने योग्य नहीं है।
सूचना आयुक्त ने 2 पुलिस अधिकारियों को सचेत किया
जानकारी नहीं मिलने पर श्री मनीष भट्ट ने आयोग का दरवाजा खटखटाया। मध्य प्रदेश के राज्य सूचना आयुक्त श्री राहुल सिंह ने पाया कि इसमें प्रथम अपील का निराकरण भी विधि अनुरूप नहीं हुआ है। प्रथम अपीलीय अधिकारी को दोनों पक्षों को बुलाकर सुनवाई करनी चाहिए थी, जबकि इसमें मात्र थाना प्रभारी से जवाब लेकर उसे आवेदक के पास भेज दिया। वहीं अधिकारिक तौर पर मिसरोद थाना के प्रथम अपीलीय अधिकारी इस प्रकरण में अतिरिक्त पुलिस उपायुक्त जोन 2 श्री राजेश भदौरिया है। जबकि इस प्रकरण की सुनवाई पुलिस उपायुक्त जोन 2 सुश्री श्रद्धा तिवारी ने की। श्री सिंह ने इस बात पर आपत्ति लेते हुए दोनों अधिकारियों को सचेत किया है कि वह भविष्य में सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत आवेदनों का निराकरण करें।
क्या हर मामले के लिए अलग लोक सूचना अधिकारी नियुक्त कर सकते हैं
श्री सिंह ने अपने आदेश में इस बात पर भी आपत्ति ली है कि इस प्रकरण में पुलिस उपायुक्त जोन 2 सुश्री श्रद्धा तिवारी ने प्रकरण में श्री अमित कुमार मिश्रा सहायक उपायुक्त मिसरोद को लोक सूचना अधिकारी के रूप में नियुक्त करते हुए मध्य प्रदेश राज्य सूचना आयोग के समक्ष हाजिर होने के लिए निर्देशित किया था। श्री सिंह ने कहा कि इस तरह से एकाएक किसी भी अधिकारी को किसी प्रकरण विशेष में लोक सूचना अधिकारी के रूप में नियुक्त नहीं किया जा सकता है। शासन एवं विभाग द्वारा पूर्व से निर्धारित लोक सूचना अधिकारी एवं अपीलीय अधिकारी नियम अनुरूप आरटीआई प्रकरण के निराकरण के जवाबदेह है।
क्या पुलिस द्वारा वाणिज्यिक विश्वास व्यापार गोपनीयता क्या आधार पर जानकारी रोकी जा सकती है
राज्य सूचना आयुक्त राहुल सिंह ने जारी आदेश मे थाना प्रभारी श्री राज बिहारी शर्मा के द्वारा गलत कानूनी आधार पर जानकारी रोकने के लिए जिम्मेदार ठहराया है। सिंह ने कहा कि वाणिज्यिक विश्वास व्यापार गोपनीयता जैसे आधारों पर लॉग बुक और ड्यूटी रजिस्टर की जानकारी को रोकना गलत है। सिंह ने यह भी स्पष्ट किया कि पुलिस विभाग के प्रकरणों में आमतौर पर जानकारी को जांच या प्रॉसीक्यूशन प्रभावित होने पर धारा 8 (1) h के तहत रोका जाता है या फिर किसी व्यक्ति को शारीरिक खतरा होने पर धारा 8 (1) g के तहत रोका जाता है। श्री सिंह ने सुनवाई के दौरान सहायक आयुक्त मिसरोद श्री अमित कुमार मिश्रा से जब पूछा कि 3 दिन की थाने की ड्यूटी रजिस्टर जानकारी बाहर आने से पुलिस विभाग को क्या नुकसान हो जाएगा, तो इस बात का कोई उत्तर श्री मिश्रा, आयोग के समक्ष नहीं दे पाए।
श्री सिंह ने कहा कि पुलिस विभाग को भी अपना काम काज पारदर्शी तरीके से करना चाहिए। जिस जानकारी से जांच या प्रॉसीक्यूशन प्रभावित हो सिर्फ उसी को नियम अनुरुप रोकना चाहिए। सूचना आयोग ने अब जुर्माने का नोटिस जारी कर 5 जून को प्रकरण में सुनवाई में अपना पक्ष स्पष्ट करने के लिए राज बिहारी शर्मा को कहा है।
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