पारितंत्र के घटक- Components Of The Ecosystem

Bhopal Samachar

NCERT CLASS 12th BIOLOGY FREE NOTES-Part 10 unit 5-Topic

जैसा कि आपने पिछले आर्टिकल से जाना की पारिस्थितिक तंत्र के दो घटक होते हैं -जैविक एवं अजैविक। आज हम पारिस्थितिक तंत्र के अजैविक घटको के बारे में जानेंगे। पारिस्थितिक तंत्र के अजैविक घटको के अंतर्गत सभी प्रकार की कार्बनिक एवं अकार्बनिक पदार्थों को शामिल किया गया है। तापमान, हवा, पानी, मिट्टी, सूर्य का प्रकाश, प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, वसा आदि शामिल है। किसी भी पारिस्थितिक तंत्र की भौतिक संरचना,सजीव एवं निर्जीवों के बीच परस्पर क्रिया का ही परिणाम होती है।

प्रमुख अजैविक घटक - Main Abiotic Factors

1. तापमान -Temperature

तापमान कम और ज्यादा होने का सीधा प्रभाव जैविक घटकों पर पड़ता है। तापमान एक ऐसा कारक है जो जैवविविधता (Biodiversity) को सीधे प्रभावित करता है। पृथ्वी पर पाए जाने वाली काल्पनिक रेखा भूमध्य रेखा या विषुवत् रेखा (Equator) पर तापमान सबसे अधिक और जैवविविधता भी सबसे अधिक होती है, जबकि जैसे -जैसे ध्रुवों की ओर जाते हैं तापमान और जैवविविधता दोनों में कमी आने लगती है। कुछ जीव जंतु एवं पेड़ पौधे। बहुत अधिक टेम्परेचर पर भी जीवित रह पाते हैं इन्हें पृथुताजापी(Eurythermal) कहते हैं। जबकि कुछ जीव जंतु एवं पेड़ पौधे। बहुत कम तापमान पर जीवित रह पाते हैं उन्हें तनुतापी (Stenothermal) कहते हैं।

LET'S LEARN LOGIC- इसी कारण स्नो लैपर्ड, केरला में नहीं पाया जाता और मैंगो ट्री, कनाडा-जर्मनी में नहीं उग सकते।

2 पानी - Water 

पानी का रासायनिक संगठन, पीएच वैल्यू ,लवण सांद्रता आदि जीव -जंतु एवं पेड़ -पौधों की उपलब्धता को सीधे प्रभावित करती है। कई प्रकार की जीव -जंतु एवं पेड़ -पौधे खारे पानी में रहने के लिए अनुकूलित होते हैं, इन्हें पृथुलवणी(Euryhaline) जबकि कई जीव-जंतु एवं पेड़ -पौधे लवणीय जल में जीवित नहीं रह पाते इन्हें तनुलवणी(Stenohaline) कहते हैं।

3. प्रकाश - Light 

किसी भी पारिस्थितिक तंत्र को बनाये रखने के लिए सूर्य का प्रकाश प्रत्यक्ष ओर अप्रत्यक्ष रूप से बहुत ही महत्वपूर्ण कारक होता है। दुनिया में केवल एक ही ऐसा पारिस्थितिक तंत्र है जो सूर्य की ऊर्जा पर निर्भर नहीं होता। इसे HOT HYDROTHERMAL VENT कहा जाता है। जो की बायोजियोकेमिकल एनर्जी पर डिपेंड होता है। इसके अतिरिक्त बाकी सभी पारिस्थितिक तंत्र सूर्य की ऊर्जा पर ही निर्भर करते हैं।

4. मिट्टी - Soil

मिट्टी के अध्ययन को Pedology Or Edaphology कहा जाता है जबकि सॉइल फैक्टर वो कहा जाता है जबकि सॉइल बनने की प्रोसेस को पीडोजेनेसिस(Pedogenesis) कहा जाता है। मिट्टी का संगठन. कणों का साइज, परकोलेशन,जलधारण क्षमता. पीएच। आदि कई प्रकार के कारक मिट्टी को प्रभावित करते हैं। मिट्टी के प्रकार के आधार पर ही किसी भी स्थान पर पाए जाने वाले पेड़ -पौधों(Flora) के प्रकार का निर्धारण होता है।

5. उपलब्ध मृदा जल - Available soil Water 

मुद्दा जल कई प्रकार का होता है जैसे- गुरुत्वीय जल, हाइग्रोस्कोपिक जल, रासायनिक जल, केशिका जल आदि। मृदा जल की कुल मात्रा को HOLARD कहा जाता है। जबकि अवेलेबल सॉइल वाटर को CRESARD नॉन अवेलेबल सॉयल वाटर को ECHARD कहा जाता है। मृदा जल कुल प्रकारों में से मुख्य रूप से केशिकाजल(Capillary water) ही पेड़ -पौधों को उपलब्ध हो पाता है। जबकि अन्य प्रकार के जल जैसे - गुरुत्वीय जल(Gravitational water), हाइग्रोस्कोपिक जल(Hygroscopic water),रासायनिक जल(chemical water) आदि पेड़- पौधों को उपलब्ध ही नहीं हो पाते।

इसके अतिरिक्त कुछ अन्य कारक जैसे- खनिज लवणों की उपलब्धता, कार्बनिक एवं और अकार्बनिक पदार्थों की उपलब्धता आदि भी पारिस्थितिक तंत्र को प्रभावित करती है। 

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