मनुष्य दुनिया में जहां भी हो, किसी न किसी गलती की गुंजाइश बनी ही रहती है। न्यायालय में हर काम सोच समझकर किया जाता है। किसी भी आदेश को जारी करने से पहले, उसे ध्यान पूर्वक पढ़ा जाता है परंतु फिर भी कभी-कभी मानवीय भूल हो सकती है। इस प्रकार की गड़बड़ी को सुधारने के लिए भी प्रावधान किया गया है।
सिविल प्रक्रिया संहिता,1908 की धारा 152 की परिभाषा
जब कोई निर्णय, डिक्री, आदेश आदि में लिपिकीय त्रुटि, टाइपिंग, या कोई गुणा, भाग, जोड़ संबंधी आदि त्रुटियां न्यायालय द्वारा हो जाती है, तब कोई भी पक्षकार उक्त धारा के अंतर्गत त्रुटि सुधार के लिए न्यायालय में आवेदन कर सकता है।
इस धारा का उद्देश्य न्यायालय द्वारा पारित आदेशों, निर्णयों, एवं उनके आधार पर बनाई गई डिक्री में यदि कोई गलती हो गई है तो उसमें सुधार के लिए सरल प्रक्रिया उपलब्ध कराना है। सिविल प्रक्रिया संहिता की धारा 152 नागरिकों को डिक्री में सुधार का अधिकार प्रदान करती है। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article) :- लेखक ✍️बी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं विधिक सलाहकार होशंगाबाद) 9827737665
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