Definition of section 31 of the Code of Civil Procedure, 1908 in Hindi
सिविल प्रक्रिया संहिता, 1908 की धारा 27 में बताया गया है कि न्यायालय प्रतिवादी को वाद की जानकारी समन के माध्यम से देगा एवं उसे प्रतिवाद पत्र दायर करने के लिए एक निश्चित समय सीमा देगा। इसी प्रकार संहिता की धारा 28 में बताया गया है कि एक राज्य से दूसरे राज्य में रह रहे प्रतिवादी को न्यायालय किस प्रकार वाद की जानकारी प्रतिवादी को देगा एवं संहिता की धारा 29 में बताया गया है कि न्यायालय विदेश में रह रहे प्रतिवादी को वाद की जानकारी के लिए किस प्रकार समन तामील करेगा। अगर कोई व्यक्ति किसी वाद में गवाह है तब न्यायालय उस गवाह को साक्ष्य के लिए किस प्रकार बुलवाएगा क्या उस गवाह का दायित्व होगा जानिए।
सिविल प्रक्रिया संहिता, 1908 की धारा 31 की परिभाषा
सिविल कोर्ट इस धारा के अंतर्गत किसी पक्षकार की प्रार्थना पर या स्वयं न्यायालय के विवेक पर किस व्यक्ति को जो वाद (मामले) में पक्षकार नहीं है, उसे गवाही देने के लिए, दस्तावेज पेश करने के लिए या कोई पदार्थ, वस्तु आदि पेश करने के लिए समन जारी करेगा।
विशेष नोट:- इस धारा के अंतर्गत गवाह की उपस्थिति जरूरी है पर उसे साक्ष्य देने के लिए न तो पक्षकार मजबूर कर सकता है न न्यायालय। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article) :- लेखक ✍️बी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं विधिक सलाहकार होशंगाबाद) 9827737665
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