Punishment for ignoring court summons
जब किसी भी व्यक्ति को किसी बात को प्रकट करने के लिए, दस्तावेज पेश करने के लिए, गवाही देने के लिए या शपथ पत्र में माध्यम से बात करने के लिए न्यायालय द्वारा समन भेज दिया गया हो और व्यक्ति जानबूझकर के न्यायालय के आदेश का पालन नहीं करता है या समन को अनदेखा करता है और न्यायलय में उपस्थित नहीं होता है तब ऐसे व्यक्ति के खिलाफ न्यायालय क्या दंडात्मक कार्यवाही करेगा।
सिविल प्रक्रिया संहिता,1908 की धारा 32 की परिभाषा
अगर कोई भी व्यक्ति चाहे वह पक्षकार हो चाहे ना हो, समन तामील होने के बाद न्यायालय में उपस्थित नहीं होता है तब उस व्यक्ति पर निम्न दंडात्मक कार्यवाही हो सकती है:-
1. उसकी गिरफ्तारी के लिए वारण्ट निकल सकता है।
2. उसकी संपत्ति को कुर्क किया जा सकता है और बेचा जा सकता है।
3. उसके ऊपर पांच हजार रुपए तक का जुर्माना लगाया जा सकता है।
4. उससे सिक्योरिटी भी ली जा सकती है ओर उसे गिरफ्तार कर सिविल जेल में भेजा जा सकता है।
सरल शब्दों में यह है कि यदि कोर्ट से कोई समन जारी होता है तो उसका सम्मान करना जरूरी है। चाहे कोई गवाह ही क्यों ना हो। वह कोर्ट में उपस्थित होकर गवाही देने से इनकार भी कर सकता है परंतु समन का सम्मान करना जरूरी है। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article) :- लेखक ✍️बी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं विधिक सलाहकार होशंगाबाद) 9827737665
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