When will accept affidavit as evidence, when not
हमने आपको पिछले लेख में बताया था की शपथ पत्र दो प्रकार के होते हैं न्यायिक एवं गैर न्यायिक। न्यायिक शपथ पत्र को न्यायालय की कार्यवाही में किसी लम्बित मामलों में या विचारण के समय में प्रस्तुत किया जाता है। ऐसे में न्यायालय कब न्यायिक शपथ-पत्र की किसी बात को साबित करने के लिए आदेश देने की शक्ति रखता है जानिए।
सिविल प्रक्रिया संहिता,1908 का आदेश क्रमांक 19 के नियम 01 की परिभाषा
कोई भी न्यायालय किसी भी वाद के विचारण के दौरान किसी भी तथ्य को शपथ पत्र के माध्यम से सिद्ध करने के लिए कह सकती है।
परन्तु अगर न्यायालय चाहे तो शपथ पत्र देने वाले पक्षकार की प्रतिपरीक्षा या पुनः परीक्षा के लिए उपस्थित करवा सकता है।
नोट:- मध्यप्रदेश राज्य संशोधन नियम 1(क) :- कुछ मामलों में शपथ पत्र के माध्यम से तथ्यों एवं बातों को सिद्ध नहीं किया जा सकता है, क्योंकि किसी भी साक्षी के साक्ष्य की सत्यता परखने के लिए विपक्षी को प्रतिपरीक्षा करने का कानूनी अधिकार प्राप्त है। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article) :- लेखक ✍️बी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं विधिक सलाहकार होशंगाबाद) 9827737665
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