एक बच्चा सबसे पहले अपनी मां को पहचानता है और वह उसे जिंदगी भर याद रहती है, लेकिन वही बच्चा प्ले स्कूल में अपने साथ खेलने वाले दोस्तों को भूल जाता है। बचपन की बहुत सारी यादें उम्र के साथ गायब हो जाती हैं जबकि कुछ बातें ऐसी होती हैं जिन्हें हम कभी नहीं भूलते। सवाल यह है कि बच्चे, बचपन की बातें बड़े होकर भूल क्यों जाते हैं और कुछ बातें उन्हें हमेशा याद क्यों रहती हैं। आइए जानते हैं:-
Procedural Memory क्या होती है
बच्चों में दो तरह की मेमोरी होती है। शॉर्ट टर्म मेमोरी और लोंग टर्म मेमोरी। इसमें नंबर वन पर आती है लोंग टर्म मेमोरी जिसे Procedural Memory कहा जाता है, हिंदी में इसे प्रक्रियात्मक स्मृति कहा जाता है। जैसे साइकिल चलाना या लिखना या किसी भी प्रकार की स्किल Procedural Memory कही जाती है। एक बार यदि कोई बच्चा इसे सीख ले तो वह उसे जिंदगी भर के लिए याद रह जाती है।
Semantic Memory क्या होती है
दूसरी लॉन्ग टर्म मेमोरी को Semantic Memory कहा जाता है। हिंदी में ऐसे शब्दार्थ वैज्ञानिक स्मृति कहते हैं। इसमें आसपास की चीजों का सामान्य ज्ञान होता है। जैसे जानवरों और पक्षियों को पहचानना, यह बिल्ली है, यह मछली है और यह चिड़िया है।
Episodic Memory क्या होती है
इसके बाद Episodic Memory होती है, इसे हिंदी में प्रासंगिक स्मृति कहते हैं। इसमें बच्चों को अपनी जिंदगी के कुछ खास पल, कभी-कभी कुछ हादसे। ज्यादातर बच्चों को अपनी सफलताएं और नई चीजें, जैसे स्कूल का पहला दिन याद रह जाता है, लेकिन यह लंबे समय तक याद नहीं रहता। 3 साल का बच्चा जब 9 साल का हो जाता है तो उसे केवल 25% बातें याद रह जाती है।
वैज्ञानिकों के अनुसंधान में पता चला कि यदि बच्चा किसी बात को बार-बार याद ना करें या फिर उसे उस बात के बारे में बार-बार याद ना दिलाया जाए तो इस प्रकार की प्रासंगिक स्मृति वह भूल जाता है। इसके बाद फिर उसे कभी याद नहीं आता। 20 साल की उम्र में यदि उसे याद दिलाया जाए तो वह मानने से इंकार कर देगा।
याददाश्त चली जाए तो क्या भूल जाते हैं
जब किसी हादसे में किसी की याददाश्त चली जाती है तब एक्चुअल में उसकी सिर्फ Episodic Memory गायब होती है। यही कारण है कि उसे साइकिल चलाने का तरीका तो याद रहता है परंतु उसमें पिछली बार कब साइकिल चलाई थी, यह याद नहीं रहता।
प्ले स्कूल और प्राइमरी स्कूल का फंडा
बच्चों के दिमाग में सेल्स और न्यूरॉन बहुत तेजी से विकास करते हैं। शायद यही कारण है कि बच्चे पुरानी बातें भूल जाते हैं। यह प्रक्रिया 3 से 6 साल के बीच में होती है। इसलिए 6 साल से पहले तक की यादें धुंधली पड़ती चली जाती हैं। 6 साल के बाद जब न्यूरॉन के विकास की प्रक्रिया सामान्य हो जाती है तब बच्चों को लंबे समय तक सारी बातें याद रहती है। यही कारण है कि कई देशों में बच्चों की स्कूलिंग 6 साल के बाद शुरू की जाती है और प्ले स्कूल में केवल Procedural Memory पर काम किया जाता है।
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