प्राचीन काल से लेकर 18 वीं सदी तक भारत में लोग अपने भोजन के लिए खास प्रकार की धातु के बर्तनों का चुनाव करते थे। राज परिवार के लोग सोना और चांदी की थाली में खाना खाते थे। कुछ लोग पीतल, कांसा और तांबे की थाली में भोजन किया करते थे। सवाल यह है कि वह ऐसा क्यों करते थे। क्या उनके पास कोई विकल्प उपलब्ध नहीं था या फिर इसके पीछे कोई साइंटिफिक लॉजिक है। आइए जानते हैं:-
यह कहना बिल्कुल गलत होगा कि पुराने जमाने के लोगों के पास कोई विकल्प नहीं था। उन्होंने अपने जीवन की सुरक्षा एवं सुविधा के लिए कुछ इस प्रकार के अविष्कार भी कर लिए थे, जिन्हें आज के समय के विशेषज्ञ नहीं कर पा रहे हैं। लिस्ट लंबी है, यदि चर्चा की तो अपन टॉपिक से भटक जाएंगे। तात्पर्य केवल इतना है कि पुराने जमाने के लोगों को अपने से कम मत समझिए। जो राजा अपने सिंहासन में रत्न जड़वा सकते हैं वह अपने भोजन की थाली में कोई भी इनोवेशन कर सकते थे परंतु उन्होंने नहीं किया। इसके पीछे बड़ा साइंटिफिक रीजन है।
राजाओं के भोजन के लिए सोने की थाली क्यों होती थी
स्वर्ण एक ऐसी धातु है जो मनुष्य के शरीर पर सीधा असर डालती है। यह एक गर्म धातु है। सोने की थाली में नियमित रूप से भोजन करने से शरीर के आंतरिक और बाहरी सभी हिस्से कठोर एवं बलवान हो जाते हैं। राजाओं को अक्सर युद्ध पर जाना होता था। ऐसी स्थिति में उन्हें शारीरिक रूप से कठोर और शक्तिशाली होना अनिवार्य था।
कुछ राजा चांदी की थाली में भोजन क्यों करते थे
स्वर्ण के एकदम विपरीत चांदी धातु की तासीर ठंडी है। चांदी की थाली में भोजन करने से शरीर के आंतरिक भाग को ठंडक मिलती है। दिमाग शांत रहता है। दिमाग तेज होता है। आंखों की रोशनी पड़ जाती है। एसिडिटी, गैस और कब्ज जैसी बीमारियों को दूर कर देती है।
कांसा के बर्तन में खाना बनाने के फायदे
कांसा के बर्तन में खाना बनाने से कांसा धातु के कुछ करण भोजन में शामिल हो जाते हैं। इसके कारण लोगों के रक्त का शुद्धिकरण होता है। भूख बढ़ती है और रक्तपित शांत रहता है। सबसे अच्छी बात यह है कि कासा के बर्तन में भोजन बनाने से उसके पोषक तत्व नष्ट नहीं होते।
पीतल की थाली में भोजन करने के फायदे
पीतल के बर्तन में भोजन पकाने और करने से कृमि रोग, कफ और वायुदोष की बीमारी नहीं होती । पीतल के बर्तन में खाना बनाने से केवल 7 प्रतिशत पोषक तत्व नष्ट होते हैं ।
तांबे के गिलास में पानी पीने के फायदे
तांबे के बर्तन में रखा पानी पीने से व्यक्ति रोग मुक्त बनता है, रक्त शुद्ध होता है, स्मरण-शक्ति अच्छी होती है, लीवर संबंधी समस्या दूर होती है, तांबे का पानी शरीर के विषैले तत्वों को खत्म कर देता है इसलिए इस पात्र में रखा पानी स्वास्थ्य के लिए उत्तम होता है। तांबे के बर्तन में दूध नहीं पीना चाहिए इससे शरीर को नुकसान होता है।
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