GUPT NAVRATRI JUNE 2023- शुभ मुहूर्त और पूजा विधि चुपचाप पढ़िए, किसी को नहीं बताना

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Gupt Navratri june 2023, date time and worship method

भारतीय पंचांग के अनुसार विक्रम संवत 2080, आषाढ़ मास, शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि यानी दिनांक 19 जून सोमवार से गुप्त नवरात्रि कब प्रारंभ हो रहा है। जो लगातार 27 जून तक चलेंगी। पूजा विधि बताने से पहले यह बताना जरूरी है कि, यह पूजा विधि गुप्त नवरात्रि के लिए है। कृपया चुपचाप पढ़ें। एकांत में संकल्प लें और अपने संकल्प के बारे में किसी को ना बताएं। यदि संभव हो तो एकांत में पूजा करें और किसी भी स्थिति में अपनी प्रोफाइल पर अथवा इंस्टाग्राम और व्हाट्सएप आदि के माध्यम से अपने अथवा पूजा स्थल के फोटो आदि शेयर ना करें। यह गुप्त नवरात्रि की पहली निर्धारित शर्त है। 

गुप्त नवरात्रि 2023 में मनोकामना पूर्ति का योग

भारतीय ज्योतिष के अनुसार आर्द्रा नक्षत्र, वृद्धि योग, बव करण तथा मिथुन राशि के चंद्रमा की साक्षी में गुप्त नवरात्र का आरंभ होगा। इस बार नवरात्र पूरे नौ दिनों के रहेंगे। यानी पूरे 9 दिनों तक मां दुर्गा की विशिष्ट साधना की जा सकेगी। वर्षभर में चार नवरात्र होते हैं जिनमें जो दो गुप्त और दो प्रकट नवरात्र आते हैं। जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है, प्रकट नवरात्रि में ज्यादा से ज्यादा लोगों को शामिल किया जाता है। प्रचार प्रसार किया जाता है लेकिन गुप्त नवरात्रि की पूजा विधि गोपनीय तरीके से की जाती है। गुप्त नवरात्र में तिथि का बढ़ना श्रेष्ठ होता है। यह साधना की सफलता के लिए श्रेष्ठ संकेत माना जाता है। इस दृष्टि से इस दौरान की जाने वाली साधना उपासना मनोवांछित फल प्रदान करती है।

गुप्त नवरात्रि में पूजा प्रारंभ करने का शुभ मुहूर्त

इस नवरात्रि की शुरुआत कामना पूर्ति करने वाले सिद्धि नामक शुभ योग में हुआ है। जिसका शुभारंभ सुबह 10:06 से अगले दिन सुबह 5:41 तक रहेगा। यदि एकांत में संभावित घटस्थापना सुबह 9 बजकर 59 मिनट से 10 बजकर 46 मिनट के बीच करें। यदि संयुक्त परिवार में रहते हैं तो घटस्थापना करना अनिवार्य नहीं है। अभिजित मुहूर्त दोपहर 12 बजकर 11 मिनट से 12 बजकर 54 मिनट तक है।

गुप्त नवरात्रि की पूजा विधि 

गुप्त नवरात्रि की कोई विशेष पूजा विधि नहीं होती बल्कि स्नानादि करने के बाद कलश अथवा माता के किसी भी प्रतीक के सामने बैठकर 108 के गुणांक में मंत्र का जाप करना है। या फिर प्रतिदिन दुर्गा सप्तशती का पाठ कर सकते हैं। यदि समय का अभाव है तो प्रतिदिन दुर्गा चालीसा का पाठ कर सकते हैं। अपनी मनोकामना को ध्यान में रखते हुए दीपक प्रज्वलित करें और जाप अथवा पाठ करें। 

- माता के भोग में लोंग एवं बतासे का उपयोग किया जा सकता है। 
- पूजा में लाल सुगंधित फूलों का उपयोग करें। 
- माता के लिए आक, मदार, दूब और तुलसी वर्जित है। 
- पूरे 9 दिन तक सात्विक भोजन करें। संभव हो तो तला हुआ भोजन एवं बाजार में मिलने वाले खाद्य पदार्थों का सेवन ना करें।

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