ग्वालियर। जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग के अध्यक्ष ने प्रस्तुत हुए मामलों में स्पष्ट आदेश दिए हैं कि कोरोनावायरस से संक्रमित हुए नागरिकों के इलाज पर जितना भी पैसा खर्च हुआ है, बीमा कंपनी को अदा करना होगा। इसके अलावा उन्होंने बीमा कंपनी को आदेश दिया कि पीड़ित लोगों को बैंक दर से ब्याज भी आजाद किया जाए।
कंपनी ने कहा भर्ती क्यों हुए, क्वारंटाइन काफी था
मामला मेडिक्लेम का है। इंद्रमणिनगर निवासी राहुल ऋषिश्वर ने बीमा कंपनी से 2014 में मेडीक्लेम पालिसी ली थी। निरंतर बीमा पालिसी रिन्यु कराई। बीमा पालिसी में श्री ऋषिश्वर छह लाख 25 हजार रुपये के इलाज के लिए बीमित थे। वे कोरोना संक्रमित हुए। काफी समय इलाज के बाद वह डिस्चार्ज हुआ। इलाज में एक लाख 63 हजार 50 रुपये खर्च हुए। राहुल ऋषिश्वर ने क्लेम लेना चाहा तो बीमा कंपनी ने यह कहकर क्लेम खारिज कर दिया कि उन्हें कोरोना के हल्के लक्षण थे। इसका इलाज घर रहकर किया जा सकता था। आयोग अध्यक्ष ने सुनवाई के दौरान बीमा कंपनी को आदेश दिया कि परिवादी को एक लाख 49 हजार 945 रुपये का भुगतान छह प्रतिशत ब्याज के साथ किया जाए। इसके अतिरक्त पांच हजार रुपये मानसिक क्षतिपूर्ति दी जाए।
बीमा कंपनी ने क्लेम रिजेक्ट कर दिया था
नया बाजार निवासी मोनिका जैन ने शिकायत कर बताया वर्ष 2019 में मेडिक्लेम पालिसी ली थी। श्रीमती जैन और उनके पति 7 लाख 50 हजार रुपये के इलाज के लिए बीमित थे। वे कोरोना संक्रमित हुईं तो इलाज में 92 हजार 839 रुपये खर्च किए। क्लेम का आवेदन किया तो बीमा कंपनी ने यह कहते हुए आवेदन खारिज किया कि मामूली संक्रमण था। इससे घर में क्वारंटाइन रहकर ठीक हो सकती थीं। आयोग के अध्यक्ष ने बीमा कंपनी को आदेश दिया है कि श्रीमती जैन को 85 हजार 194 रुपये का भुगतान छह प्रतिश ब्याज के साथ करें। इसके अलावा पांच हजार रुपये मानसिक क्षतिपूर्ति के तौर पर दें।
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