मध्यप्रदेश शासन, ग्रामीण यांत्रिकी विभाग के इंजीनियर अशोक कुमार संतोषी को एक मंत्री के कहने पर सस्पेंड कर देना, डिपार्टमेंट में भारी पड़ गया। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट की सिंगल बेंच ने सरकार पर कॉस्ट लगाई थी। बचने के लिए सरकार ने डबल बेंच की शरण ली थी परंतु यहां से भी राहत नहीं मिली।
गुमनाम और तथ्य हीन शिकायत पर सस्पेंड कर दिया था
बताया गया है कि इंजीनियर अशोक कुमार संतोषी का पूरा सर्विस रिकॉर्ड क्लीन था। जब वह रिटायर होने वाले थे तब ठीक 15 दिन पहले एक मंत्री के कहने पर उन्हें सस्पेंड कर दिया गया। विभाग की ओर से बताया गया कि एक शिकायत मिली है जिसमें श्री संतोषी पर एक हॉस्टल के निर्माण में भ्रष्टाचार का आरोप है। शिकायतकर्ता ने अपना नाम नहीं लिखा है। इस प्रक्रिया में आगे पाया गया कि शिकायत के साथ कोई भी साक्ष्य संलग्न नहीं थे। ऐसा कुछ भी नहीं था जो शिकायत को प्रथम दृष्टया विश्वास के योग्य बनाता हो। श्री संतोषी ने आरोप लगाया कि एक मंत्री के कहने पर उनके खिलाफ झूठी शिकायत की नाटकीय प्रक्रिया की गई है ताकि उनके सर्विस रिकॉर्ड पर कलंक लगाया जा सके और रिटायरमेंट के समय उन्हें परेशान किया जा सके।
मध्यप्रदेश हाईकोर्ट की इंदौर सिंगल बेंच ने मामले की सुनवाई की और इंजीनियर संतोषी के तर्कों से सहमत होते हुए उनके आदेश को निरस्त कर दिया एवं सरकार पर ₹500000 की कॉस्ट लगा दी। माननीय मंत्री और डिपार्टमेंट की इज्जत बचाने के लिए हाई कोर्ट की डबल बेंच में अपील की गई परंतु डबल बेंच ने भी राहत देने से मना कर दिया है। चुनावी समय में मंत्री जी की बड़ी किरकिरी ही हो रही है।
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