पब्लिक न्यूसेंस यानी लोक शांति भंग करना, का अपराध एक ऐसा अपराध होता है जो ऐसे अवैध कार्यलोप में सम्मिलित हैं जो अधिकारों में अवरोध पैदा करता है एवं लोक स्वास्थ्य,लोक सुरक्षा, एवं सुख आदि में बाधा उत्पन्न करता है जैसे कि शोर मचाना, हानिकारक धुंआ फैलाना, सार्वजनिक रास्तों पर आतिशबाजी करना, गन्ध उत्पन्न करना आदि जिससे मनुष्य के स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ेगा है उसे हम सामान्य भाषा में लोक न्यूसेंस कहते हैं।
इस प्रकार के अपराध पर कार्यवाही दो प्रकार से की जा सकती है:-
1. भारतीय दण्ड संहिता,1860 की धारा 268 के अंतर्गत।
2. सिविल प्रक्रिया संहिता,1908 की धारा 91 के अंतर्गत।
इस प्रकार यह एक आपराधिक मामला भी है और सिविल केस भी बनता है। पब्लिक को किस प्रकार की परेशानी हो रही है और किस प्रकार के खतरे उत्पन्न हो गए हैं, इससे निर्धारित होता है कि पब्लिक न्यूसेंस का केस पुलिस थाने में FIR में दर्ज किया जाएगा या फिर शिकायतकर्ता को सीधे न्यायालय में सिविल केस दाखिल करने की सलाह दी जाएगी।
इसको हम एक उधारानुसार सरल शब्दों में समझते हैं:-
यदि कोई व्यक्ति अपने जानवरों को सड़क पर खड़ा करता है या बीच सड़क पर बांधता है या बीच सड़क पर चारा खिलता है तो यह पब्लिक न्यूसेंस का अपराध होगा उस व्यक्ति के विरुद्ध आईपीसी की धारा 268 के अंतर्गत आपराधिक मामला दर्ज हो सकता है या सड़क पर आने जाने वाले व्यक्तियों को जानवर रुकावट उत्पन्न कर रहे हैं उस व्यक्ति के विरुद्ध सिविल प्रक्रिया संहिता की धारा 91 के अंतर्गत वाद भी दायर किया जा सकता है। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article) :- लेखक ✍️बी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं विधिक सलाहकार होशंगाबाद) 9827737665
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