मध्य प्रदेश शासन के राजस्व विभाग में बड़ा परिवर्तन होने वाला है। पटवारी और राजस्व निरीक्षकों की पावर छीनने की तैयारी कर ली गई है। जबकि तहसीलदारों को उनके क्षेत्राधिकार में जमीनों का देवता के रूप में प्रतिष्ठित किया जाएगा। सभी प्रकार के अधिकार तहसीलदारों के पास सुरक्षित कर दिए जाएंगे। इस प्रकार का एक प्रस्ताव बनाया जा रहा है। फिलहाल ड्राफ्टिंग चल रही है। ड्राफ्ट तैयार हो जाने के बाद मंजूरी के लिए शासन स्तर पर आगे बढ़ाया जाएगा।
मध्य प्रदेश भू राजस्व संहिता में संशोधन की तैयारी
भोपाल के प्रतिष्ठित पत्रकार श्री बृजेंद्र मिश्र की एक रिपोर्ट के अनुसार लैंड रिकॉर्ड के मामले में पटवारियों और अन्य कर्मचारियों की कई शिकायतें सामने आती हैं। यह लोग अक्सर खसरा-खतौनी और नक्शे अपडेट करने में गलतियां कर देते हैं। इसके अलावा पक्षपात और रिश्वत के मामले भी सामने आते हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में यह स्थिति सरकार के लिए समस्या बन गई है। इसलिए मध्य प्रदेश भू राजस्व संहिता में संशोधन करने की तैयारी की जा रही है। इस संशोधन के माध्यम से लैंड रिकॉर्ड के सभी अधिकार तहसीलदारों को दे दिए जाएंगे।
वर्तमान व्यवस्था क्या है
पटवारी या सेक्टर के राजस्व निरीक्षक के पास लैंड रिकार्ड की कोई हार्ड कॉपी (पटवारी बस्ता) नहीं है। लैंड रिकार्ड में भूमि के किसी धारक या भूमि स्वामी या सरकारी पट्टेदार के खसरा व खतौनी में पहले से दर्ज नाम में जब तक राजस्व न्यायालय से कोई आदेश या संशोधन या परिवर्तन हो तो तब तक उसे नहीं बदला जा सकता। 90 फीसदी मामलों में बदलाव तहसीलदार के आदेश से ही किए जाते हैं और अपील व पुनरीक्षण जैसे अन्य मामले में वरिष्ठ न्यायालयों के कम केस सामने आते हैं। जब वरिष्ठ न्यायालयों से परिवर्तन संबंधी आदेश आते हैं तो उसमें भी पालन के लिए तहसीलदार को ही आदेशित किया जाता है और इसका पालन पटवारी या नगरीय क्षेत्र में सेक्टर के राजस्व निरीक्षक के जरिये तहसीलदार द्वारा कराया जाता है।
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