Madhya Pradesh Government employees news
मध्यप्रदेश हाईकोर्ट की इंदौर खंडपीठ में जस्टिस विवेक रूसिया ने तृतीय एवं चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों के हित में कड़ा कदम उठाया है। अवमानना की याचिका पर अतिरिक्त मुख्य सचिव की बिना शर्त माफी को नामंजूर कर दिया। कहां है कि जब तक आखरी कर्मचारी को वेतनमान का लाभ नहीं मिल जाता तब तक ना तो माफी को स्वीकार किया जाएगा और ना ही अतिरिक्त मुख्य सचिव को इस केस से डिस्चार्ज किया जाएगा।
प्रति एवं चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों को वेतनमान का मामला
उच्च न्यायालय इंदौर में नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण के कर्मचारियों की ओर से अवमानना याचिका लगाई गई है। हाईकोर्ट ने सन 2019 में तृतीय एवं चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों को 5-6-7 वेतनमान का लाभ देने के आदेश दिए थे परंतु हाईकोर्ट के आदेश का पालन नहीं किया गया। अवमानना याचिका प्रस्तुत होने पर हाईकोर्ट ने वरिष्ठ अधिकारियों के प्रति काफी तीखी टिप्पणी की थी। अतिरिक्त मुख्य सचिव सुश्री वर्षा सोलंकी ने इस मामले में बिना शर्त माफी मांगी और आश्वासन दिया कि हाईकोर्ट के आदेश का शीघ्र ही पालन किया जाएगा परंतु हाईकोर्ट ने उनकी माफी को स्वीकार नहीं किया।
हाईकोर्ट ने कहा कि अभी तक सिर्फ याचिकाकर्ताओं को ही वेतनमान का लाभ दिया गया है, जबकि सभी कर्मचारियों को उपरोक्त वेतनमान का लाभ दिया जाना है। अभी बहुत सारे कर्मचारी वेतनमान के लाभ से वंचित हैं। जब तक प्रत्येक कर्मचारी को वेतनमान का लाभ नहीं मिल जाता और हाईकोर्ट के आदेश का 100% पालन नहीं हो जाता तब तक ना तो कोई माफी स्वीकार की जा सकती है और ना ही किसी भी जिम्मेदार अधिकारी को इस केस से डिस्चार्ज किया जा सकता है। हाईकोर्ट ने आदेश दिया कि, विभाग द्वारा पालन प्रतिवेदन प्रस्तुत करने के बाद इस केस को बंद किया जाएगा।
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