वस्तु एवं सेवा कर विभाग के अफसरों को सात लाख रुपये की रिश्वत लेते सीबीआइ ने पकड़ा था। टीम ने रिश्वत लेते अधीक्षक कपिल कांबले और अधीक्षक सोमेन गोस्वामी समेत इंस्पेक्टर प्रदीप हजारी, विकास गुप्ता और वीरेंद्र जैन की पुलिस रिमांड मंगलवार को खत्म हुई। रिमांड खत्म होने पर पांचों आरोपितों को सीबीआई के विशेष न्यायालय में पेश किया गया, जहां से पांचों को न्यायिक अभिरक्षा में जेल भेज दिया गया।
पूछताछ में यह भी खुलासा हुआ
इधर सीबीआई की पूछताछ में यह भी खुलासा हुआ कि पांचों ने अवकाश के दिन सीजीएसटी कार्यालय में रिश्वत का सौदा किया था। फैक्ट्री सील करने के बाद कांबले ने कई बार फैक्ट्री के मैनेजर भागीरथ राय को फोन लगाकर संपर्क किया था। इतना ही नहीं तीन जून शनिवार को उसे कार्यालय में मिलने बुलाया, जबकि शनिवार को सरकारी अवकाश था। भागीरथ कार्यालय पहुंचा, तो कांबले उसे एक कमरे में ले गया, जहां एक करोड़ रुपये में फैक्ट्री सील रिलीज आर्डर जारी करने की बात कही थी।
पूछताछ ने सीबीआई ने बताया कि कांबले ने किसी को संदेह न हो, इसलिए उसने दोनों फर्मों का चालान काटने की भी बात भागीरथ को बताई। भागीरथ ने हामी भरी, तो कांबले ने दोनों फर्मो का कुल दस लाख 68 हजार रुपये का चालान काटा। इसके बाद 35 लाख रुपये अलग से रिश्वत मांगी गई। पांच जून को रिश्वत के 25 लाख रुपये देने के साथ ही भागीरथ ने चालान की राशि भी जमा की। बाकी की रकम न मिलने पर कांबले भागीरथ और फर्म संचालक को मशीने कुर्क करने की धमकी दे रहा था।
राजस्थान के कारोबारी की दमोह नोहटा में पान मसाला व तम्बाकू प्रोडक्ट का कारखाना है। 18 मई को सीजीएसटी के अफसरों ने उसे सील कर दिया था। खोलने की अनुमति देने के एवज में रिश्वत की मांग की थी। 25 लाख रुपये लेने के बाद भी 7 लाख रुपये के लिए अड़े थे। कारोबारी के मैनेजर की शिकायत पर सीबीआइ ने 14 जून ट्रैप की कार्रवाई कर पांच अफसरों को गिरफ्तार किया था। जिन्हें 20 जून तक सीबीआइ को रिमांड मिली थी।