Madhya Pradesh State Information Commission, bhopal
मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में स्थित राज्य सूचना आयोग के आयुक्त श्री राहुल सिंह ने सभी नगरीय निकायों में खरीदी और टेंडर की जानकारी वेबसाइट पर अपलोड करने के आदेश जारी किए हैं। आदेश में स्पष्ट किया है कि शासकीय विभाग खरीदी और टेंडर से संबंधित जानकारी को आम आदमी को देने से मना नहीं कर सकते है। श्री सिंह ने टेंडर के ही एक मामले में जानकारी नहीं देने पर सिंगरौली के नगर निगम के स्वास्थ्य अधिकारी को ₹25000 के जुर्माने का कारण बताओ नोटिस भी जारी किया।
राज्य सूचना आयुक्त राहुल सिंह ने आदेश जारी किए
नगरीय निकाय में टेंडर से संबंधित एक मामले की सुनवाई करते हुए राज्य सूचना आयुक्त श्री राहुल सिंह ने आयुक्त नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग भोपाल को निर्देशित किया कि विभाग के अंतर्गत आने वाले सभी निकायों में खरीदी एवं टेंडर से संबंधित दस्तावेज अनिवार्य रूप से सूचना का अधिकार अधिनियम की धारा 4 के तहत आम लोगों के सरल एवं सुलभ अवलोकन के लिए संबंधित निकायों की ऑफिशियल वेबसाइट पर उपलब्ध कराया जाय।
Right to Information Act Section 4
सूचना आयुक्त श्री राहुल सिंह ने शासकीय विभागो में खरीदी और टेंडर की जानकारी पर स्थिति को स्पष्ट करते हुए कहा इस तरह की इस प्रकार की जानकारियां, सूचना का अधिकार अधिनियम की धारा 4 के तहत स्वतः पब्लिक प्लेटफॉर्म - वेबसाइट पर रखने का प्रावधान है। इसके लिए नागरिकों को आरटीआई आवेदन दायर करने की भी जरूरत नहीं है। सिंह ने कहा कि एक बार टेंडर की प्रक्रिया पूरी होने के पश्चात टेंडर से संबंधित जानकारी बाहर आने से किसी व्यक्ति, प्रतियोगी स्थिति को नुकसान नहीं पहुंच सकता है।
क्या टेंडर से संबंधित जानकारी को गोपनीय रख सकते हैं
टेंडर शासकीय विभाग के साथ किया गया एक अनुबंध है। इस तरह का कोई भी अनुबंध पूरा होने के बाद व्यापार गोपनीयता, बौद्विक सम्पदा, वाणिज्यिक विश्वास के नाम पर गोपनीय नहीं रखा जा सकता हैं। अनुबंध होने के पूर्व जानकारी को रोकने के लिए व्यापार गोपनीयता का आधार बन सकता है। पर एक बार टेंडर की प्रक्रिया पूरी होने पर टेंडर अवार्ड होने के बाद टेंडर की जानकारी को रोकने का बेहद ठोस आधार उपलब्ध होने पर ही लोकप्राधिकारी जानकारी को सूचना का अधिकार अधिनियम की धारा 8 एवं 9 के तहत देने से मना कर सकते हैं।
सूचना का अधिकार अधिनियम की धारा 2(i)
श्री सिंह ने कहा की सूचना का अधिकार अधिनियम की धारा 2 के तहत टेंडर से संबंधित दस्तावेज रिकार्ड की श्रेणी में आते हैं। वहीं टेंडर से संबंधित दस्तावेजों के निरीक्षण एवं प्रमाणित प्रतिलिपि लेने का "सूचना का अधिकार" अधिनियम की धारा 2(i) के तहत उपलब्ध है।
टैक्सपेयर को है हिसाब लेने का हक
श्री सिंह ने कहा कि शासकीय विभाग को अपनी योजनाओं के लिए प्रस्तावित व्ययों और आवंटित बजट की जानकारी आम जनता को उपलब्ध करानी चाहिए ताकि योजनाओं के क्रियान्वयन में कसावट के साथ साथ पारदर्शिता सुनिश्चित हो सकेगी। बल्कि आरटीआई के तहत इस तरह की जानकारी देने से खरीदी/टेंडर प्रक्रिया में होने वाली अनियमितताओं पर रोक लगेगी। राज्य सूचना आयोग का यह मानना है कि योजनाओं में खर्च किया गया पैसा टैक्सपेयर की गाढ़ी कमाई से आता है और हर नागरिक को यह जानने का अधिकार है कि योजनाओं का पैसा सही जगह खर्च हो रहा है यां नहीं।
खरीदी एवं टेंडर की जानकारी ऑनलाइन पब्लिक करने का प्रावधान
सूचना आयोग ने कहा कि कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग भारत सरकार से जारी निर्देशानुसार खरीदी / टेंडर की जानकारी अनिवार्य रूप से स्वतः वेबसाइट पर अधिनियम की धारा 4 (1) (b) (xvii) के तहत उपलब्ध कराने का कानूनी प्रावधान है। वही झारखंड हाई कोर्ट एक निर्णय में भी टेंडर की जानकारी को वेबसाइट पर उपलब्ध कराने के निर्देश दिए हैं।
सिंगरौली नगर निगम के स्वास्थ्य अधिकारी MPSIC BHOPAL तलब
आयोग ने टेंडर संबंधी ये आदेश सिंगरौली के प्रकरण में की सुनवाई करते हुए जारी किया। दरअसल, सतना के RTI आवेदक उदयभान चतुर्वेदी ने सिंगरौली के नगर निगम के अंतर्गत गिनियारी स्वच्छता कचरा प्लांट संबंधित टेंडर की जानकारी मांगी थी। निगम के स्वास्थ्य अधिकारी राम प्रकाश वैश जानकारी को यह कहते हुए देने से मना कर दिया कि जानकारी विस्तृत है। बाद में 275 पन्नो की जानकारी प्रथम अपीलीय अधिकारी के आदेश के बाद उपलब्ध कराई लेकिन उसमें भी मांगी गई पूरी जानकारी नहीं थी। अब इस मामले में आयुक्त राहुल सिंह ने पूरी जानकारी उपलब्ध कराने के आदेश के साथ रामप्रकाश वैश को ₹25000 का कारण बताओ नोटिस जारी कर 7 जुलाई की पेशी में तलब किया है।
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