मध्यप्रदेश के बालाघाट जिले में पदस्थ एक शासकीय शिक्षक पर जब तत्कालीन सहायक आयुक्त ने रिश्वत के लिए दबाव बनाया तो उन्होंने एक तरफ लोकायुक्त पुलिस में शिकायत कर दी और दूसरी तरफ संस्था के लिए आवंटित किया गया सरकारी धन, रिश्वत के रूप में दे दिया। घटना 10 साल पुरानी है। विभागीय छानबीन के बाद अब शासकीय शिक्षक के खिलाफ FIR दर्ज कर ली गई है। इसके खिलाफ शिक्षक ने हाईकोर्ट में शरण ली है। हाई कोर्ट ने नोटिस जारी करके मामले की पूरी जानकारी मंगवाई है।
स्कूल के लिए आवंटित बजट की रकम रिश्वत में दे दी
याचिकाकर्ता जनजातीय कार्य विभाग के स्कूल में पदस्थ शासकीय शिक्षक श्री धर्मदास भालेकर ने बताया कि, करीब 10 साल पहले तत्कालीन सहायक आयुक्त ने उनसे रिश्वत मांगी थी। उन्होंने इसकी जानकारी लोकायुक्त पुलिस को दे दी थी और संस्था में उपलब्ध शासकीय धन, रिश्वत के रूप में सहायक आयुक्त को दे दिया था। लोकायुक्त पुलिस ने कार्रवाई करते हुए रिश्वत में दी गई रकम जप्त कर ली थी। इस घटनाक्रम के 10 साल बाद, वर्तमान सहायक आयुक्त ने उन पर रिकवरी निकाल दी और उनके खिलाफ शासकीय धन के गबन की FIR दर्ज करवा दी।
याचिकाकर्ता का कहना है कि यह अन्याय पूर्ण कार्रवाई है, जिसे निरस्त किया जाना चाहिए। मध्य प्रदेश हाई कोर्ट जबलपुर के विद्वान न्यायमूर्ति श्री संजय द्विवेदी की एकल पीठ ने पुलिस अधीक्षक बालाघाट, थाना प्रभारी लालबर्रा पुलिस और असिस्टेंट कमिश्नर ऑफ डिपार्टमेंट श्री राहुल नायक नोटिस जारी कर के मामले की जानकारी मांगी है।
क्या बजट की रकम से रिश्वत दे सकते हैं
यह मामला इस बात को निर्धारित करेगा कि क्या कोई सरकारी कर्मचारी अथवा अधिकारी, सरकारी काम के लिए आवंटित बजट की रकम से किसी को रिश्वत दे सकता है। फिलहाल इस मामले में पूरी जानकारी सामने आना बाकी है।
✔ पिछले 24 घंटे में सबसे ज्यादा पढ़े जा रहे समाचार पढ़ने के लिए कृपया यहां क्लिक कीजिए।
✔ यहां क्लिक करके व्हाट्सएप ग्रुप ज्वाइन कर सकते हैं।
क्योंकि भोपाल समाचार के टेलीग्राम चैनल - व्हाट्सएप ग्रुप पर कुछ स्पेशल भी होता है।