PSC क्वालीफाई SDM और UPSC क्वालीफाई SDM में क्या अंतर होता है, पढ़िए- Bhopal Samachar GK

Bhopal Samachar
भारत के लगभग सभी राज्यों में SDM (SUB-DIVISIONAL MAGISTRATE) का पद होता है। यह एक ऐसा पद होता है जिस पर PSC (PUBLIC SERVICE COMMISSION) परीक्षा पास उम्मीदवारों को पदस्थ किया जाता है और UPSC (UNION PUBLIC SERVICE COMMISSION) परीक्षा पास उम्मीदवारों को भी पदस्थ किया जाता है। सवाल यह है कि एक पद के लिए दो प्रकार की परीक्षाएं क्या होती है। PSC क्वालीफाई SDM और UPSC क्वालीफाई SDM में क्या अंतर होता है, आइए जानते हैं। 

PSC क्वालीफाई SDM 

पीएससी यानी पब्लिक सर्विस कमीशन द्वारा आयोजित परीक्षा के माध्यम से राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों का चयन किया जाता है। इस परीक्षा में संबंधित राज्य का नाम भी शामिल होता है जैसे UPPSC (उत्तर प्रदेश पब्लिक सर्विस कमीशन), BPSC (बिहार पब्लिक सर्विस कमीशन), MPPSC (मध्य प्रदेश पब्लिक सर्विस कमीशन) इत्यादि। इसके माध्यम से चुने गए राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों को कई पदों पर नियुक्त किया जाता है। SDM इन्हीं पदों में से एक पद होता है। अनुभव के आधार पर प्रमोशन मिलता है और सबसे अंत में इनका कैडर चेंज हो जाता है। राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारी से भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी कैडर आवंटित हो जाता है और इसके कारण पीएससी क्वालीफाई कैंडिडेट अंत में DM (डिस्टिक मजिस्ट्रेट) अथवा कलेक्टर के पद पर पदस्थ किया जाता है और फिर रिटायर हो जाता है। 

UPSC क्वालीफाई SDM 

UPSC यानी यूनियन पब्लिक सर्विस कमीशन द्वारा आयोजित परीक्षा से भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) के अधिकारियों का चयन किया जाता है। भारत में यह सबसे बड़ा कैडर है। यूपीएससी क्वालिफाइड कैंडीडेट्स को सैद्धांतिक प्रशिक्षण के बाद व्यावहारिक प्रशिक्षण के लिए SDM के पद पर पदस्थ किया जाता है। इसके अलावा कुछ अन्य पदों पर भी पदस्थ किया जाता है ताकि उसे इस बात का अनुभव हो सके कि जिन अधिकारियों से शेष सेवाकाल में उसे काम करवाना है। वह किस प्रकार से काम करते हैं। इस प्रकार संघ लोक सेवा आयोग से चयनित उम्मीदवार केवल प्रशिक्षण के लिए SDM के पद पर काम करते हैं। 

PSC क्वालीफाई SDM और UPSC क्वालीफाई SDM में अंतर

यदि SDM पद की बात की जाए तो उस पर पीएससी क्वालीफाई कैंडिडेट की पदस्थापना हो अथवा यूपीएससी क्वालीफाई कैंडिडेट की पदस्थापना हो। दोनों की पावर में कोई अंतर नहीं होता। दोनों को समान रूप से काम करना होता है और दोनों को समान रूप से सुविधाएं प्राप्त होती हैं। सिर्फ इनकी नेम प्लेट पर SAS अथवा IAS लिखा होता है। 

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