मध्य प्रदेश राज्य सूचना आयोग, भोपाल के आयुक्त श्री राहुल सिंह ने देवास लेबर कोर्ट की पूर्व महिला न्यायाधीश श्रीमती सीमा श्रीवास्तव के वित्तीय व्यवहार संबंधी जानकारी सूचना के अधिकार के तहत देने के आदेश दिए हैं। इससे पहले प्रथम अपील रजिस्ट्रार औद्योगिक न्यायालय मध्यप्रदेश ने जानकारी देने से मना कर दिया था।
प्रथम अपील में आवेदन खारिज हो गया था
देवास के राजेंद्र बहादुर ताम्रकार आरटीआई आवेदन दायर कर श्रम न्यायालय की सेवानिवृत्त न्यायधीश सीमा श्रीवास्तव के द्वारा गलत तरीके से भुगतान प्राप्त करने जानकारी मांगी थी। श्री ताम्रकार भी देवास श्रम न्यायालय के ही ही पूर्व कर्मचारी हैं। पर इस जानकारी को सुश्री विनीता गुप्ता वर्तमान पीठासीन अधिकारी श्रम न्यायालय देवास ने देने से मना कर दिया था। इसके बाद श्री ताम्रकर ने जानकारी लेने के लिए प्रथम अपील रजिस्ट्रार औद्योगिक न्यायालय इंदौर के समक्ष लगाई थी। पर यहां से भी उन्हें जानकारी यह कहते हुए देने से मना कर दिया कि ये तीसरे पक्ष की व्यक्तिगत गोपनीय जानकारी है।
सूचना आयुक्त ने कहा- जनता को जानने का अधिकार है
जानकारी नहीं मिलने पर श्री ताम्रकार ने राज्य सूचना आयोग के पास अपील लगाई। राज्य सूचना आयुक्त श्री राहुल सिंह ने इस मामले में सुनवाई करते हुए पाया कि देवास श्रम न्यायालय की पीठासीन अधिकारी सुश्री विनीता गुप्ता ने गलत आधार पर जानकारी को रोका था। आरटीआई एक्ट की जिन धाराओं का उल्लेख सुश्री विनीता गुप्ता ने जानकारी को रोकने के लिए किया था, उसके तहत जानकारी को रोका नहीं जाता है। श्री सिंह ने यह भी पाया कि रजिस्ट्रार औद्योगिक न्यायालय इंदौर ने भी गलत आधार बनाकर की जानकारी को रोका है। सिंह ने यह स्पष्ट किया यह जानकारी एक पूर्व जज के आर्थिक अनियमितता से संबंधित है। जिसमें कार्रवाई भी हो चुकी है।
श्री सिंह ने कहा कि श्रम न्यायालय इंदौर आरटीआई एक्ट के अधीन है एवं ये जरूरी कि श्रम न्यायालय के कार्यालय में व्यवस्था पारदर्शी हो। देश की संसद से जनता को ये अधिकार इसलिए मिला है ताकि खासतौर से आर्थिक अनियमितताओं के मामलों में शासकीय कार्यालयों में व्यवस्था पारदर्शी हो और भ्रष्टाचार पर रोक लग सके। श्री सिंह ने कहा कि ऐसी स्थिति में श्रम न्यायालय देवास से पारदर्शी मापदंडों के अनुरूप अनियमितता संबंधी जानकारी को प्राप्त करने का अधिकार RTI के तहत आम जनता रखती है।
राज्य सूचना आयुक्त श्री राहुल सिंह ने अपने आदेश मे कहा कि शासन-प्रशासन में कर्मचारी और अधिकारियों का वेतन टैक्स पेयर की गाढ़ी कमाई के पैसों से आता है। इस देश के नागरिक टैक्सपेयरो को यह जानने का हक है कि उनके द्वारा दिए गए पैसे से जो अधिकारी-कर्मचारी वेतन प्राप्त कर रहे हैं वह नियम अनुरूप प्राप्त कर रहे है या नहीं।
क्या जानकारी मांगी गई थी
श्रीमती सीमा श्रीवास्तव ने बिना सक्षम स्वीकृति प्राप्त किये, अनियमित रूप से पात्रता से अधिक करीब 14 लाख 64 हजार को राशि का आहरण किया गया था। इस मामले मे हुई जांच के बाद औद्योगिक न्यायालय विभाग द्वारा 12 प्रतिशत वार्षिक ब्याज के साथ वसूली करने की कार्यवाही की गयी है। इस प्रकरण में कुछ दस्तावेज श्रीमती सीमा श्रीवास्तव के कार्यालय से गायब हो गए थे। इस पर आपत्ति लेते हुए रजिस्ट्रार औद्योगिक न्यायालय मध्यप्रदेश इंदौर कहा कि श्रम न्यायालय देवास के कोषालय से अनियमित राशि का आहरण होने के पश्चात् कार्यालयीन देयकों की प्रतियां एवं सह प्रपत्रों का श्रम न्यायालय देवास में उपलब्ध न होना गंभीर अनियमितता व पदेने सेवा दायित्वों के प्रति लापरवाही का घोतक है। इस लापरवाही के रजिस्ट्रार औद्योगिक न्यायालय ने दोषी अधिकारी / कर्मचारियों के विरूद्ध दण्डात्मक कार्यवाही भी प्रस्तावित की थी।
श्रम न्यायालय के लोक सूचना अधिकारी ने दी सफ़ाई
देवास श्रम न्यायालय पीठासीन अधिकारी विनीता गुप्ता द्वारा गलत ढंग से जानकारी रोकने पर राज्य सूचना आयुक्त राहुल सिंह ने जुर्माने का नोटिस भी जारी किया था। सुनवाई के दौरान सिंह ने कहा कानून की धाराओं का उल्लेख गलत तरीके से करके जिस तरह से जानकारी रोकी गई है उसे ऐसा प्रतीत होता है कि विनीता गुप्ता ने अपनी ही पूर्व साथी जज सीमा श्रीवास्तव की जानकारी को जानबूझकर रोका था। इसके जवाब में विनीता गुप्ता की तरफ से सुनवाई में उपस्थित हुए वकील ने गलत कानूनी आधार पर जानकारी को रोकने पर अपनी गलती को मानते हुए सफाई दी कि विनीता गुप्ता की नियत जानकारी छुपाने की नहीं थी। इस तथ्य पर सिंह ने पेनल्टी की कार्रवाई को ड्रॉप करते हुए विनीता गुप्ता वर्तमान पीठासीन अधिकारी श्रम न्यायालय देवास को भविष्य में सूचना का अधिकार अधिनियम के अनुरूप कार्य करने के लिए सचेत किया है।
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