SWASTIK Meaning in Hindi- स्वास्तिक चिन्ह क्यों बनाते हैं, पढ़िए दुनिया में कहां-कहां पाया गया

Bhopal Samachar

Amazing facts in Hindi about Swastik 

वैष्णव हो या शैव, दुनिया में कहीं भी रहते हों, अपने घर, ऑफिस और व्यापारिक प्रतिष्ठानों में स्वास्तिक का चिन्ह अवश्य बनाते हैं। भारत देश में मूर्ति पूजा करने वाले प्रत्येक घर में स्वास्तिक का चिन्ह अनिवार्य रूप से मिलेगा लेकिन सवाल यह है कि स्वास्तिक का चिन्ह इतना महत्वपूर्ण क्यों है। इसे घर, मंदिर, व्यापारिक प्रतिष्ठान, स्कूल यहां तक की अस्पतालों में भी क्यों बनाया जाता है। आइए स्वास्थ्य के इतिहास और चमत्कार के बारे में पढ़ते हैं। 

स्वास्तिक शब्द का हिंदी अर्थ

स्वास्तिक शब्द संस्कृत के स्वास्तिका का से बना है। संस्कृत में यह शब्द सु+अस+क से बना है। इसमें सु- का अर्थ है शुभ, अस- का अर्थ है अस्तित्व और क- से तात्पर्य है कर्ता। इस प्रकार स्वास्तिक शब्द का अर्थ हुआ शुभ के अस्तित्व को स्थापित करने वाला। भारत में इसे सौभाग्य का प्रतीक कहा जाता है। यह मंगल की स्थापना करता है। यह कल्याण को सुनिश्चित करता है। 

स्वास्तिक क्या सनातन धर्म के लोगों का प्रतीक चिन्ह है

स्वास्तिक चिन्ह किसी जाति, संप्रदाय, धर्म अथवा देश से संबंधित नहीं है। स्वस्तिक क्षेम कायति, इति स्वस्तिकः' अर्थात् 'कुशलक्षेम या कल्याण का प्रतीक ही स्वस्तिक है। इसे पूरी दुनिया में इस्तेमाल किया जाता है। इस चिन्ह को उन लोगों द्वारा भी इस्तेमाल किया जाता है जो सनातन धर्म की पूजा पद्धति में विश्वास नहीं करते अथवा जिनकी अपनी कोई अलग पूजा पद्धति है। 

स्वास्तिक चिन्ह से संबंधित धार्मिक कथा 

सनातन धर्म में स्वास्तिक चिन्ह भगवान श्री गणेश का प्रतीक माना जाता है। किसी भी कार्य को प्रारंभ करते समय सबसे पहले स्वास्तिक चिन्ह बनाते हैं। जब बुद्धि परीक्षा के बाद भगवान शिव ने श्री गणेश को पृथ्वी पर सभी शुभ कार्यों में सर्वप्रथम पूज्य का आशीर्वाद दिया था तभी से भगवान श्री गणेश के आह्वान और उनकी स्थापना के लिए स्वास्तिक चिन्ह बनाया जाने लगा है। ऋग्वेद में स्वस्तिक को सूर्य का प्रतीक माना गया है और उसकी चार भुजाओं को चार दिशाओं की उपमा दी गई है। कुछ अन्य ग्रंथों में स्वास्तिक चिन्ह को चार दिशाएं, चार वर्ण, भगवान विष्णु यानी चतुर्भुज की चार भुजाएं, चार आश्रम आदि का प्रतीक बताया गया है। 

पृथ्वी पर सबसे पहला स्वास्तिक चिन्ह कहां और किसने बनाया 

इतिहास में इसका कोई स्पष्ट उल्लेख नहीं मिलता लेकिन पत्थरों की कार्बन डेटिंग के बाद पता चला कि पृथ्वी पर सबसे पहला स्वास्तिक चिन्ह 15000 साल पहले बनाया गया था। यूरोप के कई हिस्सों में 10000 ईसा पूर्व स्वास्तिक चिन्ह का उपयोग काफी किया जाता था। सन 1908 में यूक्रेन में खुदाई के दौरान एक हाथी दांत मिला था जिस पर स्वास्तिक जैसा निशान था। 3200 ईसा पूर्व मेसोपोटामिया सभ्यता (वर्तमान में जहां इराक देश है) के सिक्कों में स्वास्तिक का चिन्ह होता था। 4000 साल पहले सिंधु घाटी सभ्यता में भी स्वास्तिक चिन्ह मिला है। तानाशाह हिटलर द्वारा भी अपनी पार्टी के चिन्ह के रूप में स्वास्तिक से मिलते जुलते चिन्ह का उपयोग किया गया था। 

स्वास्तिक चिन्ह की आकृति कैसे बनाते हैं

इसमें चार भुजाएं एक केंद्र पर आकर मिलती हैं। सभी भुजाएं अपने मध्य से 90 डिग्री पर एक ही दिशा में पश्चिम से पूर्व की ओर क्लॉक वाइज मुड़ी होती है। इसके मध्य में जहां चारों भुजाओं का संगम होता है, गोल बिंदु बनाया जाता है। सौभाग्य के लिए, मंगल कामना के लिए, माता लक्ष्मी के साथ भगवान श्री गणेश के आह्वान के लिए स्वास्तिक चिन्ह हमेशा लाल रंग से बनाया जाता है। 

स्वास्तिक चिन्ह किस स्थान पर बनाना चाहिए

घर अथवा किसी भी प्रतिष्ठान में स्वास्तिक चिन्ह ऐसे स्थान पर बनाना चाहिए जहां पर आने जाने वाले प्रत्येक अतिथि अथवा नागरिक को वह आसानी से दिखाई दे। मान्यता है कि स्वास्तिक चिन्ह के दर्शन मात्र से मन में सौभाग्य और मंगल के प्रति आश्वासन की स्थिति बन जाती है। वास्तु विशेषज्ञों ने इसे वास्तु दोष निवारण के लिए सबसे महत्वपूर्ण माना है।

✔ पिछले 24 घंटे में सबसे ज्यादा पढ़े जा रहे समाचार पढ़ने के लिए कृपया यहां क्लिक कीजिए
✔ इसी प्रकार की जानकारियों और समाचार के लिए कृपया यहां क्लिक करके हमें गूगल न्यूज़ पर फॉलो करें 
✔ यहां क्लिक करके हमारा टेलीग्राम चैनल सब्सक्राइब करें। 
✔ यहां क्लिक करके व्हाट्सएप ग्रुप ज्वाइन कर सकते हैं। 
क्योंकि भोपाल समाचार के टेलीग्राम चैनल - व्हाट्सएप ग्रुप पर कुछ स्पेशल भी होता है।
भोपाल समाचार से जुड़िए
कृपया गूगल न्यूज़ पर फॉलो करें यहां क्लिक करें
टेलीग्राम चैनल सब्सक्राइब करने के लिए यहां क्लिक करें
व्हाट्सएप ग्रुप ज्वाइन करने के लिए  यहां क्लिक करें
X-ट्विटर पर फॉलो करने के लिए यहां क्लिक करें
Facebook पर फॉलो करने के लिए यहां क्लिक करें
समाचार भेजें editorbhopalsamachar@gmail.com
जिलों में ब्यूरो/संवाददाता के लिए व्हाट्सएप करें 91652 24289

#buttons=(Ok, Go it!) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Ok, Go it!