पुत्र या पुत्री जायज हो या नाजायज आपने पिता की संपत्ति में बराबर का हक रखता है यह बात हिन्दू उत्तराधिकारी अधिनियम में भी बताई गई है। लेकिन जन्म से यह कानूनी अधिकार उसे प्राप्त होता है, अगर कोई पिता उनकी परवरिश जन्म से बालिग तक नहीं करता है तो वह भरण पोषण की मांग न्यायालय द्वारा कर सकता है चाहे पुत्र-पुत्री नाजायज ही क्यों न हो जानिए।
दण्ड प्रक्रिया संहिता,1973 की धारा 125(1) की उपधारा (ख) की परिभाषा
प्रत्येक व्यक्ति पर अपने जायज एवं नाजायज पुत्र-पुत्रीके भरण पोषण देने का दायित्व होता है। अगर कोई व्यक्ति अपने इस दायित्व को जानबूझकर कर अनदेखा करता है तो वह नाबालिग पुत्र-पुत्री न्यायालय के माध्यम से अपने कानूनी अधिकार की मांग कर सकते हैं।
बच्चा माता के पास रहता है तब भरण पोषण की मांग कर सकता है या नही जानिए महत्वपूर्ण जानकारी:-
जब माता पिता के आपसी मतभेद के कारण वो अलग अलग रहते है तब अवयस्क पुत्र पुत्री अपनी माता के साथ अपने पिता से दूर रहते है तब इस समय यह प्रश्न उत्पन्न होता है कि क्या नाबालिग पुत्र पुत्री द्वारा भरण पोषण की मांग कंरने पर पिता अपना बचाब ले सकता है कि वह उसके साथ रहे।
इस संबंध में पंजाब उच्च न्यायालय ने अभिनिर्धारित किया कि पिता अपनी नाबालिग संतान को अपने साथ रखना चाहता है तो वह सिविल न्यायालय में वाद दायर करके अपनी संतान की अभिरक्षा की मांग कर सकता है परन्तु जब तक सिविल न्यायालय उसके हक में संतान की अभिरक्षा का आदेश जारी नहीं कर देता तब तक पिता अपनी संतान का भरण पोषण करने के लिए बाध्य होगा। चाहे संतान अपनी इच्छा से या बिना इच्छा से माता के साथ रह रहा हो।
कुलमिलाकर कहे तो पिता बिना सिविल डिक्री लिए यह बचाब नहीं कर सकता कि वह संतान को अपने पास रखेगा उसके लिए न्यायालय से डिक्री प्राप्त करना आवश्यक है। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article) :- लेखक ✍️बी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं विधिक सलाहकार होशंगाबाद) 9827737665
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