मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में शिक्षा की तस्वीर बदलती सी दिखाई दे रही है। सुभाष एक्सीलेंस स्कूल और टीटी नगर मॉडल स्कूल के बाद अब भेल बरखेड़ा का महात्मा गांधी सीएम राइज स्कूल का नाम भी इस लिस्ट में शामिल हो गया है। इस साल यहां 50% से ज्यादा सीटों पर ऐसे स्टूडेंट्स ने एडमिशन लिया है जो पिछले साल किसी प्राइवेट स्कूल में पढ़ते थे।
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सीएम राइज स्कूल के नोडल ऑफिसर सुधाकर पाराशर ने बताया कि, बरखेड़ा के अलावा टीटी नगर में स्थित कमला नेहरू और बरखेड़ी में स्थित रशीदिया सीएम राइज स्कूलों में भी प्राइवेट स्कूलों के बच्चों ने एडमिशन लिया है। स्थिति यह थी कि, एडमिशन के लिए वेटिंग लिस्ट तक बनानी पड़ी। इसका औसत 129 से ऊपर है। इन स्कूलों में केजी-1 की पूरी 20 सीट प्राइवेट स्कूलों के स्टूडेंट्स से भरी। पाराशर के मुताबिक केजी-1 से चौथी क्लास तक 50% से ज्यादा एडमिशन निजी स्कूलों के छात्रों के हैं। इन कक्षाओं में 528 में से 253 न्यू एडमिशन प्राइवेट स्कूलों के स्टूडेंट्स ने लिए।
टीचर इंपॉर्टेंट होता है, बच्चों में इंप्रूवमेंट दिखता है
एक बार फिर साबित हो गई है कि, स्कूल की बिल्डिंग और दूसरी तमाम सुविधाओं की तुलना में शिक्षक सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण होता है। पेरेंट्स को अपने घर में जब बच्चों में इंप्रूवमेंट दिखाई देता है, तो उन्हें समझ में आ जाता है कि स्कूल में पढ़ाई हो रही है। एक बार फिर साबित हो गया है कि, बच्चे ही स्कूल का सबसे बड़ा विज्ञापन होते हैं। उन्हें देखकर दूसरे पेरेंट्स एडमिशन के लिए लाइन में लग जाते हैं।
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