CPC 36- डिक्री एवं आदेशों को लागू करवाने की जिम्मेदारी किसकी होती है, जानिए - legal knowledge

Definition of section 36 of the Code of Civil Procedure, 1908

समाज में बढ़ती कुरूतियों एवं मुकदमेबाजी की ललक से प्रभावित होकर पक्ष आदेश या डिक्री का अनुपालन न कर शान्त बैठ जाता है। ऐसे में विजयी पक्ष असहाय सा दिखता है, वह असहाय न हो इसलिए न्यायालय द्वारा निष्पादन की व्यवस्था की गई है।
निष्पादन क्या है:- विधि के क्षेत्र में निष्पादन का अर्थ होता है ऐसी किसी कार्यवाही जिससे डिक्री या आदेश को क्रियान्वित कराया जा सके निष्पादन कहलाता है।

सिविल प्रक्रिया संहिता,1908 की धारा 36 की परिभाषा (सरल एवं संक्षिप्त शब्दों में)

इस संहिता के अधीन कोई भी सिविल मामलों में डिक्री या आदेश दे दिए गए हैं चाहे वह संपत्ति के लेन देन से संबंधित भी हो न्यायालय उन्होंने निष्पादित करवायेगे जहाँ तक वह लागू हो सके।

" साधारण शब्दों में उधारानुसार अनुसार समझाते हैं अगर हम कहे तो किसी महिला को गुजारा भत्ता प्राप्त करने की डिक्री न्यायालय द्वारा प्राप्त हो गई है और उसका पति उसे गुजारा भत्ता नहीं दे रहा है तब वह न्यायालय से सिविल प्रक्रिया संहिता की धारा 36 के अंतर्गत डिक्री के पालन के लिए आवेदन कर सकती है। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article) :- लेखक ✍️बी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं विधिक सलाहकार होशंगाबाद) 9827737665

इसी प्रकार की कानूनी जानकारियां पढ़िए, यदि आपके पास भी हैं कोई मजेदार एवं आमजनों के लिए उपयोगी जानकारी तो कृपया हमें ईमेल करें। editorbhopalsamachar@gmail.com

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