Legal general knowledge study notes - भरण पोषण प्राप्त करना हर वृद्ध माता पिता, पत्नी,एवं नाबालिग संतान का एक कानूनी अधिकार है,वह अपने आश्रयदाता से भरण पोषण की मांग कर सकते हैं। अगर सक्षम न्यायालय के आदेश के बाद भी कोई व्यक्ति भरण पोषण भत्ता नहीं देता है तब व्यथित पक्षकार क्या करने का कानूनी अधिकार रखता है जानिए।
दण्ड प्रक्रिया संहिता,1973 की धारा 125 (3) की परिभाषा
जब किसी व्यक्ति को मजिस्ट्रेट धारा 125 की उपधारा 01 के अंतर्गत भरण पोषण की राशि प्रदान करने का आदेश देता है लेकिन वह व्यक्ति पूर्ण रूप से आदेश का पालन करने में असफल रहता है तब उपर्युक्त धारा के अंतर्गत निम्न कार्यवाही की जा सकती है जनिए:-
• एक माह के भुगतान में पूर्ण रूप से असफल रहने पर अधिकतम एक माह के कारावास से दण्डित किया जा सकता है
• न्यायालय वारण्ट जारी करने की कार्यवाही तभी कर सकता है जब जिस दिन रकम देय हुई हैं उससे एक वर्ष की अवधि के अन्दर इस संबंध में न्यायालय में आवेदन किया गया हो।
Code of Criminal Procedure, 1973 section 125 (3)
परन्तु यदि व्यक्ति द्वारा भरण पोषण के आदेश का पालन नहीं किया जा रहा है और उसके कोई पर्याप्त कारण मजिस्ट्रेट के समक्ष दिए जाते हैं तब व्यक्ति के विरुद्ध 125(3) की कार्यवाही नहीं की जाएगी।
इसी संबंध में मुंबई उच्च न्यायालय के मतानुसार अगर किसी व्यक्ति में भरण पोषण देने की कोई क्षमता ही नहीं है तो वह उसे कारावास भेजे जाने का भी कोई औचित्य नहीं है। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article) :- लेखक ✍️बी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं विधिक सलाहकार होशंगाबाद) 9827737665
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