परिवाद एक प्राइवेट कंप्लेंट (शिकायत) होती हैं, जब पुलिस अधिकारी किसी संज्ञेय (गंभीर) अपराध में FIR दर्ज नहीं करता है या किसी के साथ कोई असंज्ञेय (कम गंभीर) अपराध हुआ है तब वह व्यक्ति न्यायालय में किसी वकील के माध्यम से, स्वयं उपस्थित होकर अथवा डाक के जरिए परिवाद दाखिल कर सकता है। लेकिन कुछ अपराध ऐसे होते हैं जिनके लिए परिवाद दाखिल नहीं किया जा सकता। आइए जानते हैं वह कौन से अपराध है जो प्राइवेट कंप्लेंट की श्रेणी में नहीं आते।
अगर कोई विभागीय कार्यवाही के लिए प्रार्थना करता है तो यह परिवाद नहीं होता है, भारतीय दण्ड संहिता के निम्न अपराधों में परिवाद दायर नहीं किया जा सकता है:-
1. धारा 106 (घातक हमले के विरुद्ध प्राइवेट प्रतिरक्षा का अधिकार)।
2. धारा 107 (किसी बात का दुष्प्रेरण का अपराध)।
3. धारा 110 (उकसाने से भिन्न कोई अपराध करने वाले व्यक्ति के विरुद्ध)।
4. धारा 125 (भारत सरकार के मित्रता वाले किसी एशियाई देश के विरुद्ध युद्ध करना)।
5. धारा 133 (किसी भी सेना के वरिष्ठ अधिकारी पर हमले करवाने के लिए उकसाना)
6. धारा 144 (हथियार लेकर विधि विरुद्ध जमाव में शामिल होना।
7. धारा 145 (विधि विरुद्ध जमाव के हटाने के आदेश के बाद भी जमाव में शामिल रहने का अपराध)।
उक्त अपराधों के विरुद्ध न्यायालय में परिवाद दायर नहीं किया जा सकता है। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article) :- लेखक ✍️बी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं विधिक सलाहकार होशंगाबाद) 9827737665
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