Legal general knowledge- तलाक के बाद भरण पोषण के आदेश पर कब रोक लग सकती है

Bhopal Samachar
हिन्दू विवाह अधिनियम एवं दण्ड प्रक्रिया संहिता में महिलाओं को एक महत्वपूर्ण अधिकार दिया गया है, भरण पोषण का अधिकार। जब कोई पत्नी अपने पति की क्रूरता के कारण आपने पति से अलग रहने का फैसला करती है, तब वह अपने पति से दण्ड प्रक्रिया संहिता की धारा 125 के अंतर्गत गुजारा भत्ता पाने का कानूनी अधिकार रखती है। कुछ महत्वपूर्ण मामलों में सुप्रीम कोर्ट द्वारा कहा गया है कि पत्नी तलाक के बाद भी पति से भरण पोषण ले सकती है। अब सवाल यह है कि पत्नी तलाक के बाद कब तक आपने पति से गुजारा भत्ता ले सकती है, मजिस्ट्रेट कब इस पर रोक लगा सकता है जानिए।

दण्ड प्रक्रिया संहिता, 1973 की धारा 127(3) की परिभाषा

1. अगर मजिस्ट्रेट को पता चलता है कि पत्नी ने विवाह विच्छेद की तारीख के पश्चात पुनः विवाह कर लिया है तब मजिस्ट्रेट भरण पोषण के आदेश को रद्द कर देगा।
2. स्त्री ने तलाक से पहले पति से एकमुश्त पूरी राशि (सेटलमेंट) प्राप्त कर ली है जो उसके भरण पोषण के लिए पर्याप्त थी तब मजिस्ट्रेट भरण पोषण के आदेश को निरस्त कर सकता है।

3. स्त्री ने तलाक अपनी सहमति से लिया है एवं उसने तलाक लेते समय भी यही अनुबंध किया था कि वह तलाक के बाद किसी भी प्रकार का भरण पोषण प्राप्त नहीं करेगी, तब मजिस्ट्रेट भरण पोषण के आदेश को निरस्त कर देगा।
4. पत्नी का जारता का संबंध रहा हो तब भी मजिस्ट्रेट तलाक का आदेश निरस्त कर सकता है।

अगर तलाक के बाद उपर्युक्त कोई आधार नहीं है तो पत्नी आजीवन काल भरण पोषण पा सकती है। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article) :- लेखक ✍️बी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं विधिक सलाहकार होशंगाबाद) 9827737665

इसी प्रकार की कानूनी जानकारियां पढ़िए, यदि आपके पास भी हैं कोई मजेदार एवं आमजनों के लिए उपयोगी जानकारी तो कृपया हमें ईमेल करें। editorbhopalsamachar@gmail.com

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