Definition of Section 11 of the Bail Act, 2017
पुलिस की भाषा में अपराध दो प्रकार के होते हैं, जमानती अपराध और गैर जमानती अपराध। जमानती अपराध में पुलिस थाने में जमानत की लिखा पढ़ी हो जाती है और आरोपी को छोड़ दिया जाता है जबकि गैर जमानती अपराध में पुलिस आरोपी को पकड़ लेती है। यहां तक तो सब ठीक है लेकिन सवाल यह है कि गैर जमानती अपराध में आरोपी को कोर्ट से जमानत क्यों मिल जाती है।
जमानत अधिनियम,2017 की धारा 11 की परिभाषा
जब कोई व्यक्ति किसी अजमानतीय अपराध के लिए पुलिस अधिकारी द्वारा बिना वारण्ट के गिरफ्तार कर लिया जाता है और उच्च न्यायालय एवं सेशन न्यायालय से भिन्न किसी अन्य न्यायिक मजिस्ट्रेट के समक्ष हाजिर होता है तब ऐसे व्यक्ति को निम्न शर्तो के अनुसार ज़मानत पर छोड़ दिया जाता है जानिए:-
1. जब कोई आरोपी मृत्यु दण्ड, आजीवन कारावास के दण्ड से दण्डित न हो उसे नहीं छोड़ा जाएगा।
2. कोई आरोपी सात वर्ष या उससे अधिक कारावास या तीन वर्ष या उससे अधिक के कारावास से पहले से दोषसिद्धि न किया गया हो ऐसे आरोपी को नहीं छोड़ा जाएगा।
आजीवन कारावास, मृत्यु दण्ड या सात वर्ष से अधिक कारावास से दण्डित वाले आरोपी को कब जमानत पर छोड़ा जा सकता है जानिए
• ऐसा कोई आरोपी जिसकी उम्र सोलह वर्ष से कम हो या कोई महिला हो या कोई रोगी या विकलांग व्यक्ति हो तब ज़मानत पर छोड़ दिया जाता है।
अगर कोई विशेष कारण जो मजिस्ट्रेट को ठीक लगें एवं न्यायोचित के लिए आवश्यक हो तब।
उपर्युक्त आधारों पर किसी भी व्यक्ति को अजमानतीय अपराध में जमानत मिल सकती है एवं न मंजूर भी की जा सकती है न्यायालय द्वारा। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article) :- लेखक ✍️बी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं विधिक सलाहकार होशंगाबाद) 9827737665
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