गैर जमानती अपराध में मिली जमानत कब रद्द हो जाती है, जानिए- legal general knowledge

Bhopal Samachar
जमानत अधिनियम, 2017 की धारा 11 के अंतर्गत ऐसे व्यक्ति को जमानत मिल जाती है जिसने प्रथम बार में ऐसा कोई अपराध किया है जिसकी सजा मृत्य दण्ड, आजीवन कारावास, या सात वर्ष से अधिक नहीं है उसे मजिस्ट्रेट जमानत पर छोड़ सकते हैं। लेकिन अगर कोई महिला आरोपी,16 वर्ष से कम उम्र का आरोपी या कोई विकलांग आरोपी या कोई रोगग्रस्त आरोपी है तो उसे मृत्यु दण्ड, आजीवन कारावास एवं सात वर्ष से अधिक सजा में जमानत मिल जाती है। उक्त व्यक्ति अगर जमानत पर आ जाते हैं तब उनकी जमानत किस प्रकार के अपकृत्य करने से रद्द की जा सकती है जानिए।

जमानत अधिनियम,2017 की धारा 23 की परिभाषा

आरोपी को उच्च न्यायालय या सेशन  से भिन्न किसी मजिस्ट्रेट द्वारा उपर्युक्त अधिनियम की धारा 11 के अंतर्गत जमानत पर है एवं जमानत के दौरान वह :-
1. वही अपराध दोबारा करने की कोशिश करता है जिसका विचारण उस पर चल रहा है।
2. यदि वह अन्वेषण में बाधा उत्पन्न करता है।
3. यही वह सबूतों को मिटाता हैं या साक्षी को धमकाता है।
4. यदि वह विदेश भाग जाता है या कही छिप जाता है या वचन-बंध पत्र  से हटकर कोई अन्य कार्य करता है।
5. यदि वह प्रतिशोध की भावना से पुलिस या फरियादी या साक्षियों के विरूद्ध कोई हिंसात्मक कार्य करता है।

तब उपर्युक्त में से किसी एक आधार पर आरोपी की जमानत रद्द की जा सकती है। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article) :- लेखक ✍️बी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं विधिक सलाहकार होशंगाबाद) 9827737665 
इसी प्रकार की कानूनी जानकारियां पढ़िए, यदि आपके पास भी हैं कोई मजेदार एवं आमजनों के लिए उपयोगी जानकारी तो कृपया हमें ईमेल करें। editorbhopalsamachar@gmail.com

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