भरण पोषण मामले में बचाव के तीन मुख्य आधार - Legal general knowledge

Bhopal Samachar
भारतीय संस्कृति में विवाह संस्कार है और दांपत्य सुख परंतु जो लोग इसके बारे में नहीं जानते वह अपनी शादी को एक एग्रीमेंट की तरह लेते हैं जो शर्तें पूरी ना होने की स्थिति में टूट जाता है। कई बार पत्नी, महिला होने का फायदा उठाती है और कानून का दुरुपयोग करने की कोशिश करती है। अयोग्यता की स्थिति में भी भरण पोषण हेतु दावा ठोक देती है, यहां हम बता रहे हैं कि कैसे पति इस प्रकार के मामलों में अपना बचाव कर सकता है।

दण्ड प्रक्रिया संहिता,1973 की धारा 125 की उपधारा 04 की परिभाषा

कोई भी पति निम्न परिस्थिति साबित करने के बाद आपनी पत्नी को भरण पोषण नहीं दे सकता है:-
1. जब पत्नी किसी दूसरे व्यक्ति के साथ जारता अर्थात नाजायज संबंध में रह रही हो।
2. जब पत्नी किसी बिना ठोस कारण के पति के साथ रहने से इनकार कर रही है।
3. जब पत्नी पारस्परिक सहमति से अपने पति से अलग रह रही हो।

उपर्युक्त तथ्यों साबित होने के बाद मजिस्ट्रेट भरण पोषण के आदेश को रद्द कर सकता है या आवेदन को खारिज कर सकता है। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article) :- लेखक ✍️बी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं विधिक सलाहकार होशंगाबाद) 9827737665 
इसी प्रकार की कानूनी जानकारियां पढ़िए, यदि आपके पास भी हैं कोई मजेदार एवं आमजनों के लिए उपयोगी जानकारी तो कृपया हमें ईमेल करें। editorbhopalsamachar@gmail.com

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