व्यवसायिक परीक्षा मंडल भोपाल हो, या प्रोफेशनल एग्जामिनेशन बोर्ड भोपाल अथवा कर्मचारी चयन मंडल भोपाल, एक बात प्रमाणित हो गई है कि नाम बदलने से काम नहीं बदलते। जिस प्रकार का पोलिटिकल कनेक्शन व्यापम घोटाले में मिला था, शिक्षक परीक्षा घोटाले में मिला था बिल्कुल वैसा ही पटवारी परीक्षा घोटाला में मिला है। जो कॉलेज जांच की जद में है, भिंड के विधायक का है।
MLA कुशवाह ने कहा- हमने तो कॉलेज किराए पर दिया था
विधायक श्री संजीव सिंह कुशवाह जांच की जद में आ गए हैं क्योंकि एमपी पटवारी भर्ती परीक्षा में मेरिट लिस्ट में टॉप टेन में से सात उम्मीदवारों ने जिस परीक्षा केंद्र (NRI COLLEGE GWALIOR) से परीक्षा दी थी वह कॉलेज इन्हीं का है। इससे पहले मार्च 2022 में हुई प्राथमिक शिक्षक पात्रता परीक्षा में श्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के सबसे नजदीकी कैबिनेट मंत्री श्री गोविंद सिंह राजपूत के सुपुत्र द्वारा संचालित ज्ञानवीर इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट एंड साइंस कॉलेज का नाम आया था। उस समय ग्वालियर के सर्व धर्म महाविद्यालय का नाम भी आया था। उस समय जो स्टेटमेंट मंत्री श्री गोविंद सिंह राजपूत ने दिया था, आज वही स्टेटमेंट विधायक श्री संजीव सिंह कुशवाहा द्वारा दिया जा रहा है। श्री कुशवाहा का कहना है कि हम केवल अपना कंप्यूटर और परीक्षा हॉल किराए पर देते हैं। परीक्षा कराने का काम प्रशासन के निगरानी में कर्मचारी चयन मंडल भोपाल द्वारा निर्धारित एजेंसी द्वारा किया जाता है।
एक सेंटर के 7 उम्मीदवार मेरिट लिस्ट में तो घोटाला कैसे
यहां पूछा जा सकता है कि यदि एक परीक्षा केंद्र के 7 उम्मीदवार मेरिट लिस्ट में आ गए हैं तो इसे घोटाला कैसे कहा जा सकता है। यह भी तो हो सकता है कि सभी सातों उम्मीदवार सचमुच प्रतिभावान हों। यदि कोई कहे कि उनकी पढ़ाई का पिछला रिकॉर्ड चेक करना चाहिए, तो यह भी कहा जा सकता है कि इस बार उन्होंने अच्छी पढ़ाई की। इस बार उन्हें अच्छे शिक्षक मिल गए थे, लेकिन कुछ और सवाल भी हैं। पढ़ते रहिए.. भोपाल समाचार डॉट कॉम.
1. पहला सवाल यह है कि, 7 में से 5 उम्मीदवारों ने हिंदी में हस्ताक्षर किए हैं और केवल अपना नाम लिखा है, ऐसा क्यों।
2. दूसरा महत्वपूर्ण सवाल यह है कि, पेपर में जो प्रश्न गलत थे, जिन्हें विलोपित कर दिया गया, इन उम्मीदवारों ने उन प्रश्नों के उत्तर भी सही दिए हैं, ऐसा कैसे।
3. कर्मचारी चयन मंडल भोपाल ने 30 जून को रिजल्ट घोषित किया परंतु मेरिट लिस्ट 10 जुलाई को जारी की गई, ऐसा क्यों।
एक खुला सवाल MPESB के चेयरमैन मलय श्रीवास्तव से
मध्य प्रदेश कर्मचारी चयन मंडल, भोपाल के चेयरमैन श्री मलय श्रीवास्तव ने दैनिक भास्कर में सेवाएं दे रहे भोपाल के प्रतिष्ठित पत्रकार श्री गिरीश उपाध्याय को दिए बयान में कहा है कि यदि कोई लिखित शिकायत करता है तो हम परीक्षण करा लेंगे। दावा किया है कि परीक्षा पूरी पारदर्शिता के साथ होती है। सरल सवाल यह है कि, जब संस्थान की कितनी बदनामी हो रही है। खुले सवाल उठाए जा रही है। मामला न्यूज़ हेडलाइंस बन गया है। तो चेयरमैन साहब को किस शिकायत का इंतजार है। सवाल यह भी है कि, शिकायत का परीक्षण कैसे होता है, जांच कराई जानी चाहिए।
चेयरमैन को कोई जानकारी ही नहीं है
चेयरमैन ने जब यह दावा किया कि, परीक्षा पूरी पारदर्शिता के साथ होती है तब श्री उपाध्याय ने उन्हें याद दिलाया कि इससे पहले कृषि विस्तार अधिकारी परीक्षा में इसी प्रकार का मामला सामने आया था और परीक्षा रद्द करनी पड़ी थी। इस पर चेयरमैन ने कहा कि, उन्हें इसकी जानकारी नहीं है। कितना मासूम जवाब है। एक संस्थान के चेयरमैन को, उस संस्थान में हुई पुरानी गतिविधियों की कोई जानकारी ही नहीं है।
✔ पिछले 24 घंटे में सबसे ज्यादा पढ़े जा रहे समाचार पढ़ने के लिए कृपया यहां क्लिक कीजिए।
✔ यहां क्लिक करके व्हाट्सएप ग्रुप ज्वाइन कर सकते हैं।
क्योंकि भोपाल समाचार के टेलीग्राम चैनल - व्हाट्सएप ग्रुप पर कुछ स्पेशल भी होता है।