मध्यप्रदेश हाईकोर्ट जबलपुर के अधिवक्ता श्री रामेश्वर सिंह ठाकुर ने बताया कि, एक कर्मचारी को सन 2008 से लगातार प्रताड़ित किए जाने के मामले में डिप्टी डायरेक्टर पन्ना टाइगर रिजर्व मध्य प्रदेश श्री जेएल रामहरि के खिलाफ हाईकोर्ट द्वारा गिरफ्तारी वारंट जारी किया गया है। उल्लेखनीय है कि हाई कोर्ट द्वारा आदेश दिए जाने के बावजूद वन विभाग के अधिकारी, सन 1984 से कार्यरत कर्मचारी का नियमितीकरण नहीं कर रहे हैं।
लेबर कोर्ट के आदेश का पालन 9 साल बाद किया
मध्यप्रदेश हाईकोर्ट जबलपुर में दायर अवमानना याचिका क्रमांक CONC/1059/ 2022 के आवेदक शिवदयाल नापित विरुद्ध एपी सिंह एवं अन्य में बताया गया है कि याचिका क्रमांक WP 9618/2020 के याचिकाकर्ता, जो वायरलेस ऑपरेटर के पद पर सन 1984 से कार्यरत थे, को बिना किसी सूचना के पद से हटा दिया गया। इस आदेश के विरुद्ध श्रम न्यायालय सागर द्वारा आवेदक की सेवा समाप्ति के आदेश को अवैधानिक घोषित करते हुए आवेदक शिवदयाल नापित को सेवा में पुनर्स्थापित किए जाने का आदेश दिनांक 16 अक्टूबर 2008 को जारी किया गया था लेकिन पन्ना टाइगर फॉरेस्ट के डिप्टी डायरेक्टर ने लेबर कोर्ट के आदेश का पालन 9 साल बाद दिनांक 9 फरवरी 2017 को किया।
1984 से नियुक्ति होने के बाद भी नियमितीकरण नहीं किया
याचिकाकर्ता द्वारा शासन के प्रचलित नियमों के अनुसार नियमित किए जाने का निवेदन किया गया लेकिन पन्ना टाइगर रिजर्व के डिप्टी डायरेक्टर ने यह कहते हुए नियमितीकरण का आवेदन खारिज कर दिया कि, मध्यप्रदेश शासन की प्रचलित पॉलिसी दिनांक 7 अक्टूबर 2016 के अंतर्गत आपकी सेवाएं नियमित नहीं की जा सकती। इसके विरुद्ध वन विभाग के कर्मचारी शिवदयाल नापित द्वारा हाई कोर्ट में याचिका WP 9618/2020 प्रस्तुत की गई। इसमें हाईकोर्ट ने डिप्टी डायरेक्टर पन्ना टाइगर रिजर्व द्वारा पारित आदेश दिनांक 19 मई 2020 को निरस्त करते हुए स्पष्ट आदेश ज्यादा के साथ दिवस के भीतर याचिकाकर्ता को नियमित करके स्पीकिंग आदेश जारी करें लेकिन डिप्टी डायरेक्टर पन्ना टाइगर रिजर्व द्वारा पूर्व की भांति, आदेश का पालन नहीं किया गया।
तब याचिकाकर्ता कर्मचारी द्वारा अवमानना याचिका क्रमांक 1059/2022 दाखिल की गई। हाईकोर्ट ने उक्त याचिका में दिनांक 15 जून 2022 को एपी सिंह प्रमुख सचिव वन विभाग भोपाल, प्रदीप त्रिपाठी मुख्य वन संरक्षक भोपाल तथा JI राम हरि को नोटिस जारी किए थे। दिनांक 28 जुलाई 2022 को अनावेदकों द्वारा हाईकोर्ट में उसी आदेश में तारीख बदलकर कंप्लायंस रिपोर्ट के साथ प्रस्तुत कर दिया गया जिसे हाईकोर्ट ने निरस्त कर दिया था।
इसके बावजूद हाईकोर्ट ने 4 जुलाई 2023 को एक और मौका दिया कि 24 जुलाई तक कंप्लायंस रिपोर्ट हाईकोर्ट में दाखिल करें लेकिन हाईकोर्ट के आदेश का पालन नहीं किया गया। अन्य कोई विकल्प ना होने की स्थिति में हाईकोर्ट ने 24 जुलाई को जमानती वारंट जारी किया, तथा 17 अगस्त 2023 को हाई कोर्ट में उपस्थित होने का आदेश दिया। याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता श्री रामेश्वर सिंह ठाकुर ने पैरवी की।
✔ पिछले 24 घंटे में सबसे ज्यादा पढ़े जा रहे समाचार पढ़ने के लिए कृपया यहां क्लिक कीजिए। ✔ इसी प्रकार की जानकारियों और समाचार के लिए कृपया यहां क्लिक करके हमें गूगल न्यूज़ पर फॉलो करें। ✔ यहां क्लिक करके हमारा टेलीग्राम चैनल सब्सक्राइब करें। ✔ यहां क्लिक करके व्हाट्सएप ग्रुप ज्वाइन कर सकते हैं। क्योंकि भोपाल समाचार के टेलीग्राम चैनल - व्हाट्सएप ग्रुप पर कुछ स्पेशल भी होता है।