अतिवृष्टि अथवा असामान्य रूप से निरन्तर वर्षा होने पर जल जनित रोगों की अधिकता संभावित होती है। अतिवृष्टि एवं बाढ़ से संभावित रोग जैसे गेस्ट्रोएंट्राइटिस, कोलेरा, डायरिया, डिसेंट्री, टाइइड, स्केबीज, वॉर्म इन्फेक्शन के साथ-साथ एकत्रित पानी में वेक्टर के पनपने से मलेरिया, डेंगू, फायलेरिया चिकुनगुन्या आदि की तीव्र संभावना होती है। वर्षाकाल में यदि शुद्ध पेयजल का इस्तेमाल न किया जाये तो मौसमी बीमरियों का सामना करना पड़ सकता है।
बारिश में बीमारियों से बचने के लिए क्या करें, डॉक्टर का परामर्श पढ़िए
बैतूल जिले के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ सुरेश बौद्ध ने बताया कि दूषित पानी से होने वाली बीमारियों की रोकथाम के लिये खाने-पीने हेतु साफ एवं सुरक्षित जल का प्रयोग करें। सदैव शौच से आने के बाद, खाना बनाने, परोसने व खाने के पहले हाथ साफ पानी व साबुन से अच्छी तरह से जरूर धोऐं। ताजे बने भोजन एवं खाद्य वस्तुओं का सेवन करें। ज्यादा देर का बना भोजन व बासी खाद्य वस्तुओं का सेवन न करें। हमेशा भोजन व अन्य खाद्य सामग्रियों को ढक्कन से ढक कर रखें ताकि उसे मक्खियों और धूल आदि से दूषित होने से बचाया जा सके।
पीने के लिये सुरक्षित पेयजल स्त्रोतों का ही पानी उपयोग करें। यदि पानी के दूषित होने की संभावना हो तो उसे उबालकर साफ कपड़े से छान लें और क्लोरीन की गोली डाले एवं एक घण्टे बाद उपयोग करें। गंदे, सड़े, गले व कटे हुये फलों का एवं बाजार में खुले हुये खाद्य पदार्थो का सेवन नहीं करें। सब्जियों व फलों को साफ पानी से धोने के बाद ही उपयोग करें। सब्जियों एवं फलों को साफ धुले हुये चाकू से ही काटें। शौचालय को सदैव स्वच्छ रखें।
मच्छरों से होने वाले रोगों से बचाव के लिये अपने घरों, कार्यालयों एवं कार्य स्थलों में सप्ताह में एक बार कूलर, टंकी एवं अन्य स्थानों पर भरे हुये पानी को अवश्य खाली करना चाहिये। पानी को खुले स्थानों एवं टायर, गमले, नारियल के खोल आदि में जमा नहीं होने देना चाहिये। जहां पानी खाली करना संभव न हो वहां मीठा तेल डाल दें जिससे पानी के ऊपर तेल की परत बन जाती है और मच्छर के लार्वा नष्ट हो जाते हैं।
सायं काल में एवं बाहर घूमते समय प्रयास करना चाहिये कि फुल बाहों के कपड़े पहने, सोते समय मच्छरदानी का प्रयोग करें, मच्छरों को भगाने वाली क्रीम एवं रिपेलेन्ट लिक्विड का इस्तेमाल करें, पानी को स्थिर न रखें पानी खाली करते रहें। मच्छर कहीं भी पनप सकता है, अत: आस-पास की स्वच्छता एवं पानी के संग्रह का भी विषेष ध्यान रखें, कूलर का खस भी प्रतिवर्ष बदलें एवं पुराने खस को जलाकर नष्ट करें। बुखार आने पर नजदीकी स्वास्थ्य केन्द्र में जाकर नि:शुल्क जांच एवं इलाज कराएं।
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