किसी भी महिला के लिए उसकी संतान और संतान के लिए उसकी मां सबसे मूल्यवान होती है। इसीलिए तो सरकार संतान पालन अवकाश देती है। मध्य प्रदेश राज्य प्रशासनिक सेवा की महिला अधिकारी एवं डिप्टी कलेक्टर निशा बांगरे ने हाल ही में संतान पालन के लिए इस्तीफा दे दिया था, लेकिन अब उनका मन बदल गया है। संतान का पालन छोड़कर विधानसभा चुनाव लड़ेंगी। शुक्रवार को कांग्रेस पार्टी के प्रदेश कार्यालय में टिकट मांगने के लिए आई थी।
15 दिन पहले पति और संतान के लिए नौकरी से इस्तीफा दिया था
उल्लेखनीय है कि, राज्य प्रशासनिक सेवा की महिला अधिकारी निशा बांगरे छतरपुर में डिप्टी कलेक्टर के पद पर पदस्थ थी। उन्होंने संतान पालन के लिए शासन से अवकाश मांगा था, जो स्वीकृत हो गया था। उनका मायका बालाघाट में और ससुराल गुरुग्राम हरियाणा में है परंतु उन्होंने मध्यप्रदेश के बैतूल जिले के आमला क्षेत्र को संतान पालन के लिए चुना। रहने के लिए घर बनवा रही थी। हालांकि घर अभी under-construction है परंतु संतान पालन के लिए उन्होंने निर्माणाधीन घर में गृह प्रवेश किया। इस अवसर पर उन्होंने सर्व धर्म सम्मेलन का आयोजन किया। शासन ने सम्मेलन की अनुमति नहीं दी तो, खुद को पीड़ित बताते हुए शासन के खिलाफ संघर्ष का ऐलान किया और इस्तीफा दे दिया। इन दिनों यूट्यूब और सोशल मीडिया पर अपनी व्यक्तिगत महत्वाकांक्षा के लिए अपने पति को छोड़ देने वाली एक महिला एसडीएम के साथ डिप्टी कलेक्टर निशा बांगरे की तुलना हो रही है। कहा जा रहा है कि, उसने अपनी महत्वाकांक्षा के लिए पति को छोड़ दिया और डिप्टी कलेक्टर निशा बांगरे ने अपने पति एवं संतान के लिए नौकरी से इस्तीफा दे दिया।
चुनावी चक्कर में संतान पालन कैसे होगा
शासन की नीति और राजनीति की बातें छोड़ते हैं। आमला विधानसभा से चुनाव लड़ेंगे तो जीतेंगे या नहीं, इसका आकलन भी बाद में करेंगे। आज का ताजा सवाल यह है कि, चुनावी चक्कर में तो आदमी अपनी सेहत का ख्याल रखना भूल जाता है। नींद नहीं आती खाना नहीं खा पाता। ऐसी स्थिति में निशा बांगरे, जिन्होंने अपने परिवार के लिए नौकरी छोड़ दी, अपनी संतान का पालन कैसे करेंगी। यदि चुनाव लड़ना, संतान पालन से ज्यादा महत्वपूर्ण था तो फिर शासन से संतान पालन अवकाश क्यों लिया। सीधा इस्तीफा देना चाहिए था।
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