भोपाल से दिल्ली हवाई यात्रा के बाद, केंद्रीय मंत्री श्री ज्योतिरादित्य सिंधिया काफी तेजी से गुना-शिवपुरी लोकसभा क्षेत्र में सक्रिय हुए हैं। स्वाभाविक है कि लोकसभा जीतने के लिए, विधानसभा में अपने अथवा कम से कम अपनी पार्टी के विधायक होना जरूरी है। शायद इसीलिए कल कोलारस में जाटव समाज का सम्मेलन आयोजित किया गया परंतु इसके बाद राजनीति के विशेषज्ञों का कहना है कि यदि महाराज ने कोलारस विधानसभा से किसी यादव को टिकट दे दिया, तो इस बार भी सीट हाथ से गई समझो।
कोलारस विधानसभा में किस जाति के कितने मतदाता
- 27000 आदिवासी
- 25000 जाटव
- 25000 धाकड़
- 23000 यादव
- 20000 कुशवाह
- 11,000 ब्राह्मण
- 10,000 जैन
- 9000 रघुवंशी
- 8000 परिहार
कोलारस में जाटव क्यों महत्वपूर्ण
सबसे पहली बात तो यह कि जाटव समाज के मतदाताओं की संख्या कोलारस विधानसभा में नंबर दो पर है। दूसरी बात यह कि लगभग पूरा समाज एक साथ वोट करता है। कोलारस में जाटव समाज की पहली पसंद बसपा होती है। प्रत्याशी कोई भी हो, सब लोग बसपा को वोट करते हैं। 2019 के लोकसभा चुनाव में, बसपा के प्रत्याशी ने श्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थन में चुनाव से बाहर होने की घोषणा कर दी थी परंतु बसपा सुप्रीमो मायावती का एक लाइन का बयान आया और बिना किसी प्रचार के घर बैठे बसपा प्रत्याशी को एक लाख से ज्यादा वोट मिले।
जाटव समाज के लोग महाराज की नहीं मानेंगे क्या
इसमें कोई दो राय नहीं कि श्री ज्योतिरादित्य सिंधिया, भारत के सबसे प्रभावशाली राजनेताओं में से एक है परंतु जब गुना शिवपुरी लोकसभा सीट की बात होती है, तो सब कुछ बदल जाता है। यह लोग श्री सिंधिया का चेहरा देखकर फैसला नहीं करते बल्कि उनके समर्थक की सक्रियता देखकर फैसला करते हैं। कोलारस विधानसभा में जाटव समाज के लोगों की यादव समाज के नेताओं से बढ़िया पटरी नहीं बैठती। इसलिए जाटव समाज के लोग, यादव नेताओं के खिलाफ वोट करते हैं। यदि महाराज ने श्री महेंद्र सिंह यादव को भाजपा का टिकट दिलवा दिया, तो यह चुनाव काफी मुश्किल हो जाएगा। कोई विश्वास के साथ नहीं कह सकता कि जाटव समाज के लोग, महाराज की बात मानेंगे।
गैर यादव को टिकट देने से भाजपा को क्या फायदा होगा
कोलारस विधानसभा सीट से किसी अन्य व्यक्ति को टिकट दिया जाता है तो भाजपा को काफी फायदा हो सकता है। इतिहास में पहली बार होगा जब जाटव समाज के लोग, अपनी दूसरी पसंद कांग्रेस पार्टी को छोड़कर महाराज के साथ शामिल हो जाएंगे। ऐसा इसलिए भी होगा क्योंकि कांग्रेस पार्टी की ओर से बैजनाथ सिंह यादव का टिकट फाइनल है। यदि मैदान में बैजनाथ अकेले यादव रह गए तो पूरा जाटव समाज इस बार कांग्रेस पार्टी के खिलाफ वोट कर देगा।
महाराज के सम्मेलन से क्या संकेत मिले
कोलारस में जाटव समाज के सम्मेलन में स्पष्ट संदेश मिल गया कि जाटव समाज आज की स्थिति में भी श्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ नहीं है। सम्मेलन में जाटव समाज के वह चेहरे कम दिखाई दिए, जो कोलारस विधानसभा में जाटव समाज के इनफ्लुएंसर हैं। जाटव समाज जिनकी बात मानता है, जिनका सम्मान करता है।
कोलारस विधानसभा से गैर यादव प्रत्याशी कौन हो सकता है
वीरेंद्र सिंह रघुवंशी वर्तमान में कोलारस विधानसभा से विधायक हैं और सशक्त दावेदार हैं। पिछला विधानसभा चुनाव उन्होंने बिना महाराज की मदद के जीता है। पुराने नेता हैं और गांव-गांव में संपर्क है। श्री रघुवंशी की अपनी सेना है। जो शक्तिशाली भी है।
देवेंद्र जैन- किसी पहचान के मोहताज नहीं। दमदार दावेदार हैं। अनुभवी हैं और चुनाव जीतने के लिए व्यक्तिगत रूप से सक्षम है।
सुरेंद्र शर्मा, एक साफ सुथरा नाम है। मड़वासा का है मोड़ा है और भोपाल से दिल्ली तक हर उस कुर्सी से अच्छे संबंध है, जहां से विधानसभा के विकास के लिए बजट मिलता है। सबसे खास बात यह है कि, श्री वीरेंद्र रघुवंशी की तरह तनाव में आकर स्वयं पर से नियंत्रण नहीं खोते।
सुशील रघुवंशी- पूर्व जिला अध्यक्ष हैं। सुलझे हुए नेता है।
विपिन खेमरिया- युवा चेहरा है। चुनावी राजनीति का अनुभव है।
रविंद्र शिवहरे- कोलारस शहर की पहचान है। जातिवाद के झगड़े से दूर हैं।
हरवीर रघुवंशी- वरिष्ठ नेता है, चुनाव की रणनीति समझते हैं, सिंधिया समर्थक भी हैं।
बंटी रघुवंशी खरेह- अपने समाज के युवा तुर्क हैं। क्षेत्र में काफी सक्रिय हैं।
हरिओम रघुवंशी लुकवासा- नया चेहरा और नया नाम है, कोई माइनस मार्क नहीं है।
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