विधायक संजीव सिंह कुशवाह के एनआरआई कॉलेज के मामले में कुछ नए खुलासे हुए हैं। ग्वालियर के प्रतिष्ठित पत्रकार संतोष सिंह एवं आशीष उरमलिया जब कॉलेज पहुंचे तो कई ऐसी बातें पता लगी जो इससे पहले कम से कम समाचारों की सुर्खियों में नहीं थी, और शायद इस मामले में सबसे महत्वपूर्ण जानकारी है। यह जांच का एक नया बिंदु है।
विधायक ने मना किया है, किसी को कॉलेज में एंट्री मत देना
दोनों पत्रकारों की यह रिपोर्ट (पटवारी भर्ती परीक्षा में धांधली वाले NRI कॉलेज की पड़ताल) दैनिक भास्कर में प्रकाशित हुई है। इसमें बताया गया है कि, जब वो कॉलेज में पहुंचे तो दरवाजा बंद था। सिक्योरिटी गार्ड ने अंदर नहीं जाने दिया। उसने कहा कि यह कॉलेज विधायक संजीव सिंह कुशवाहा का है। उन्होंने किसी को भी एंट्री देने से मना किया है। यह भी पता चला कि कॉलेज का किसी गैस एजेंसी से कोई कनेक्शन है। NRI इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी मैनेजमेंट RGPV यानी राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय से एफिलिएटेड है, लेकिन इस कॉलेज में बच्चे पढ़ने के लिए नहीं आते। पता तो यह भी चला है कि पिछले 3 साल से इस कॉलेज में एडमिशन नहीं हुए। केवल सरकार द्वारा आयोजित भर्ती एवं पात्रता परीक्षाएं होती हैं।
कॉलेज नहीं केवल बिल्डिंग है, RGPV की मान्यता रद्द हो गई है
NRI कॉलेज के व्यवस्थापक अमित श्रीवास्तव ने दोनों पत्रकारों को बताया कि पटवारी भर्ती परीक्षा इंजीनियरिंग कॉलेज में हुई थी। यहां करीब 200 कम्प्यूटर हैं। यहां 150 स्टूडेंट्स बैठकर ऑनलाइन एग्जाम दे सकते हैं। कॉलेज में 7-8 लोगों का स्टाफ है। प्रिंसिपल, प्रोफेसर और कुछ सफाइकर्मी। इंजीनियरिंग कॉलेज में 3 साल से एडमिशन नहीं लिए गए हैं। RGPV से मान्यता थी, अब शायद रद्द कर दी गई है। कॉलेज पूरी तरह बंद है। इंजीनियरिंग कॉलेज के पुराने बैच के स्टूडेंट्स का कोर्स भी कम्प्लीट हो चुका है। अब यहां कोई स्टूडेंट एडमिट नहीं है।
विधायक ने कहा- मैं नहीं कलेक्टर जिम्मेदार है
भिंड विधायक संजीव कुशवाह ने बताया- मैंने उनको कॉलेज देने से मना कर दिया था। फिर वो ग्वालियर कलेक्टर का आदेश लिखवाकर ले आए। मुझे मजबूरी में एग्जाम के लिए कॉलेज देना पड़ा। मैं शुरूआत से कह रहा हूं कि हम लोगों को इसकी कोई जानकारी नहीं रहती है। कर्मचारी चयन मंडल की परीक्षा में कॉलेज केवल इंफ्रास्ट्रक्चर उपलब्ध कराता है। सेटअप पूरा कर्मचारी चयन मंडल का रहता है। सॉफ्टवेयर कंपनी भी मंडल से ही तय होती है। परीक्षा सीसीटीवी की निगरानी में होती है। एग्जाम में ड्यूटी का निर्धारण भी कर्मचारी चयन मंडल ही करता है। ये परीक्षाएं जिला प्रशासन और कर्मचारी चयन मंडल की निगरानी में आयोजित होती है। इसमें कॉलेज का कोई रोल नहीं है।
कुल मिलाकर विधायक ने स्पष्ट कर दिया कि उन्होंने बता दिया था कि उनकी कॉलेज की मान्यता समाप्त हो गई है लेकिन फिर भी कलेक्टर ने उनकी प्राइवेट कंप्यूटर लैब को परीक्षा केंद्र बना दिया। यानी इस पूरे मामले में विधायक नहीं बल्कि करैक्टर जिम्मेदार हैं।
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