मध्यप्रदेश हाईकोर्ट, जबलपुर ने आयुक्त लोक शिक्षण संचालनालय के उस आदेश को स्थगित कर दिया है जिसके तहत 18 वर्ष आयु की एक लड़की को शिक्षक भर्ती प्रक्रिया से इसलिए बाहर कर दिया गया था क्योंकि उसकी उम्र 21 वर्ष नहीं थी। आयुक्त ने न्यूनतम आयु सीमा 21 वर्ष निर्धारित की है परंतु हाईकोर्ट ने कमिश्नर डीपीआई का आयु सीमा संबंधी आदेश स्थगित करते हुए याचिकाकर्ता लड़की को अंतरिम राहत दी है, और नोटिस जारी करके आयुक्त से पूछा है कि आयु सीमा निर्धारित करने का अधिकार उन्हें किसने दिया।
मध्य प्रदेश शिक्षक भर्ती में न्यूनतम आयु सीमा को हाईकोर्ट में चुनौती
मंडला निवासी अनुसूचित जनजाति वर्ग के श्री कन्हैया लाल उइके की 20 वर्षीय बेटी करीना उइके उम्र 18 वर्ष को प्राथमिक शिक्षक पात्रता परीक्षा में शामिल किया गया। उसने परीक्षा क्वालीफाई कर ली लेकिन आयुक्त लोक शिक्षण संचालनालय ने यह कहते हुए नियुक्ति पत्र जारी करने से इंकार कर दिया कि आपकी उम्र 1 जनवरी 2023 की स्थिति में 21 वर्ष नहीं है। छात्रा के शिक्षक ने उसे न्याय के लिए हाई कोर्ट जाने की सलाह दी। अधिवक्ता श्री रामेश्वर सिंह ठाकुर के माध्यम से उसने याचिका दाखिल करके, कमिश्नर डीपीआई द्वारा जारी किए गए न्यूनतम आयु 21 वर्ष के नियम की संवैधानिक ता को चुनौती दी।
मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय में WP/14489/2023 की सुनवाई मुख्य न्यायमूर्ति श्री रवि मलिक तथा जस्टिस विशाल मिश्रा की खंडपीठ द्वारा की गई। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता द्वारा न्यायालय को बताया कि राज्य शासन द्वारा जारी नियम 2018 तथा सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा जारी सर्कुलर दिनांक 4 जुलाई 2019 के विरुद्ध कमिश्नर लोक शिक्षण भोपाल द्वारा असंवैधानिक नियम जारी किया गया है। उन्हें न्यूनतम आयु सीमा निर्धारित करने का अधिकार नहीं है। मध्यप्रदेश शासन में सभी प्रकार की सीधी भर्ती में न्यूनतम आयु सीमा 18 वर्ष निर्धारित है।
इस तर्क से सहमत होते हुए हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता को भर्ती प्रक्रिया में शामिल करने के अंतरिम आदेश जारी किए और मध्यप्रदेश शासन एवं आयुक्त लोक शिक्षण संचालनालय से इस मामले में जवाब तलब किया है। अधिवक्ता श्री रामेश्वर सिंह ठाकुर के साथ इस मामले में अधिवक्ता श्री राम भजन लोधी भी उपस्थित थे।
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