Madhya Pradesh Public Service Commission Indore
मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग इंदौर द्वारा आयोजित राज्य सेवा परीक्षा एक उम्मीदवार ने ग्वालियर हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की। बताया कि उसने मुख्य परीक्षा पास कर ली है। इंटरव्यू होना था परंतु एमपीपीएससी ने उसकी पात्रता समाप्त कर दी। हाईकोर्ट ने पीएससी के वकील को बुलाया। वकील ने जब अपना पक्ष रखा दो हाईकोर्ट ने कैंडिडेट की याचिका खारिज कर दी।
गजब की लापरवाही- लास्ट डेट 26 थी, उम्मीदवार ने 25 को स्पीड पोस्ट बुक किया
यह याचिका डॉ दीपक वर्मा की ओर से लगाई गई। उन्होंने दावा किया था कि उनकी तरफ से कोई गलती नहीं की गई है। भारतीय डाक विभाग इसके लिए जिम्मेदार है। इसलिए उसे इंटरव्यू का मौका दिया जाना चाहिए। हाईकोर्ट ने जब मामले का परीक्षण किया और मध्य प्रदेश पीएससी के अधिवक्ता श्री रविंद्र दीक्षित ने पक्ष प्रस्तुत किया तो स्थिति ही बदल गई। परीक्षण के दौरान पाया गया कि मुख्य परीक्षा में क्वालीफाई करने वाले उम्मीदवारों को अपने डॉक्यूमेंट सबमिट करने होते हैं।
एमपी लोक सेवा आयोग ने इसके लिए 7 दिन का समय दिया था। लास्ट डेट 26 अक्टूबर 2023 थी। उम्मीदवारों को यह सुविधा भी दी गई थी कि वह स्वयं आकर अपने दस्तावेज सबमिट कर सकते हैं। याचिकाकर्ता डॉ दीपक वर्मा ने 25 अक्टूबर 2022 को स्पीड पोस्ट के माध्यम से बुक किए जो मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग के ऑफिस में 29 अक्टूबर को पहुंचे। अब उम्मीदवार का कहना है कि उन्होंने 25 अक्टूबर को स्पीड पोस्ट की थी, 26 अक्टूबर को डिलीवरी हो जानी चाहिए थी। यदि नहीं हुई तो पोस्ट ऑफिस जिम्मेदार है। हाई कोर्ट उनसे सहमत नहीं हुआ और याचिका को खारिज कर दिया।
न्यायालय की कार्रवाई से अलग, सामाजिक चिंता का विषय है कि एक उम्मीदवार जिसने मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग की राज्यसेवा प्रारंभिक और मुख्य परीक्षा पास की है, क्या वह इतना लापरवाह हो सकता है कि 7 दिन का अवसर मिलने के बाद भी सेकंड लास्ट डे स्पीड पोस्ट से डॉक्यूमेंट भेजे। जबकि वह स्वयं उपस्थित होकर डॉक्यूमेंट जमा करा सकता था या फिर किसी दूसरे के हाथों से एमपीपीएससी इंदौर भेज सकता था।
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