आवश्यक वस्तु अधिनियम, 1955 यह कानून केंद्र सरकार द्वारा वर्ष 1955 में बनाया गया था। इसका प्रमुख उद्देश्य यह था कि आम जनता को आवश्यक वस्तु सरकार के नियंत्रण के द्वारा उपलब्ध हो। जिससे की आम जनता को महंगाई का बोझ न उठाना पड़े और नियंत्रित कीमत में आम नागरिकों को आवश्यक वस्तु उपलब्ध होती रहे।
सरकार द्वारा वह वस्तु जो आवश्यक वस्तु के अंतर्गत आती है:-
उक्त अधिनियम की धारा 03 के अनुसार सरकार निम्न आवश्यक वस्तुओं की विक्री की कीमतों पर कंट्रोल कर सकती है एवं इनकी बिक्री के लिए लाइसेंस दे सकती है। जैसे पेट्रोलियम प्रोडक्ट के अंतर्गत डीजल, प्रेट्रोल, कच्चा तेल आदि, खाद्द पदार्थ के अंतर्गत दाल सभी, खाने का तेल, शक्कर, आटा, आदि एवं अन्य क्षेत्रों में कॉटन, रेशम, सूती वस्त्र, कपड़े,औषिध (दवाइयां) आदि हैं।
नोट:- कोरोना के समय में माक्स, सेनिटाइजर को भी आवश्यक वस्तु की श्रेणी में रखा गया था।
अगर कोई व्यक्ति आवश्यक वस्तु जो जनता के उपयोग के लिए वर्तमान मे अतिआवश्यक है, उसकी कालाबाजारी करता है या जमाखोरी करता है, या सरकार द्वारा निर्धारित मूल्य से अधिक रुपये में बेचता तो इसकी शिकायत उपभोक्ता फोरम, केन्द्र या राज्य सरकार के संबंधित कार्यालय में की जा सकती है।
इसके लिए अधिनियम की धारा 07 दोषी व्यक्ति को अधिकतम सात वर्षों की कारावास या जुर्माना या दोनों से दण्डित भी किया जा सकता है या अधिनियम की धारा 06 के अनुसार लाइसेंस भी रद्द किया जा सकता है। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article) :- लेखक ✍️बी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं विधिक सलाहकार होशंगाबाद) 9827737665
इसी प्रकार की कानूनी जानकारियां पढ़िए, यदि आपके पास भी हैं कोई मजेदार एवं आमजनों के लिए उपयोगी जानकारी तो कृपया हमें ईमेल करें। editorbhopalsamachar@gmail.com