BHOPAL NEWS- कॉलेज मैनेजमेंट के खिलाफ हड़ताल को, 6 राज्यों के मेडिकल स्टूडेंट्स का समर्थन

Bhopal Samachar
मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में 14 हफ्ते की गर्भवती जूनियर डॉक्टर एवं PG स्टूडेंट बाला सरस्वती द्वारा सुसाइड किए जाने के बाद गांधी मेडिकल कॉलेज मैनेजमेंट के खिलाफ शुरू हुई हड़ताल का असर अब पूरे देश में दिखाई देने लगा है। मध्य प्रदेश के सभी मेडिकल कॉलेज स्टूडेंट्स हड़ताल पर हैं एवं तमिलनाडु, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान और बिहार राज्यों में भोपाल की हड़ताल के समर्थन में प्रदर्शन हुए हैं। 

HOD ने सरस्वती को इतना प्रताड़ित किया कि गर्भस्थ शिशु के साथ सुसाइड कर लिया

डॉक्टर वाला सरस्वती के सुसाइड नोट के अनुसार HOD डॉ अरुणा कुमार द्वारा उसे प्रताड़ित किया जा रहा था। वह किसी भी तरह अपना पोस्ट ग्रेजुएशन कंप्लीट करना चाहती थी। सरस्वती को 14 हफ्ते का गर्भ था। उसके सपोर्ट के लिए उसका पति भोपाल में रह रहा था। जब उसे यह विश्वास हो गया कि, HOD डॉ अरुणा कुमार ने उसका करियर और फ्यूचर बर्बाद कर दिया है, तो उसने गर्भस्थ शिशु के साथ सुसाइड कर लिया। इतनी गंभीर घटना के बावजूद एचओडी डॉ अरुणा कुमार के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई। 

डॉ अरुणा कुमार के खिलाफ पूरे मध्यप्रदेश में जूनियर डॉक्टर्स की हड़ताल

5 दिन से GMC में साथी जूनियर डॉक्टर हड़ताल पर हैं। इस हड़ताल को प्रदेशव्यापी सपोर्ट मिल गया है। सभी डॉ. अरुणा कुमार के इस्तीफे की मांग कर रहे हैं। हालांकि, अरुणा कुमार को HOD के पद से हटाया जा चुका है। भोपाल GMC में डॉ. बाला सरस्वती के मां-पापा और बड़ी बहन भी हड़ताल में शामिल हुए हैं। डॉ. बाला सरस्वती के पिता वेंकटेश्वर राव का कहना है कि यह सिर्फ हमारी नहीं, सारी बेटियों का सवाल है। इंदौर में जूनियर डॉक्टर्स ने हड़ताल का समर्थन किया है। उनकी अनुपस्थिति में सीनियर कंसल्टेंट अस्पतालों में व्यवस्था संभाल रहे हैं। जूनियर डॉक्टर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ. नयन जैन ने बताया कि शनिवार से सभी जूनियर डॉक्टर्स अनिश्चितकालीन हड़ताल पर हैं। इस दौरान वे ओपीडी, ऑपरेशन थिएटर, इमरजेंसी सहित किसी भी विभाग में सेवाएं नहीं देंगे। 

तीन जूनियर डॉक्टरों ने पढ़ाई छोड़ कर जान बचाई

भोपाल के गांधी मेडिकल कॉलेज (GMC) के गायनिक डिपार्टमेंट की HOD रहीं डॉ. अरुणा कुमार के टॉर्चर के कई मामले सामने आ रहे हैं। डिपार्टमेंट में उनकी तूती बोलती थी। उनके खौफ का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि पिछले छह साल में तीन जूनियर डॉक्टर डिग्री अधूरी छोड़ चुके हैं। एक जूनियर डॉक्टर पिछले दो महीने से एब्सेंट है। 

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