मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में स्थित GMC- गांधी मेडिकल कॉलेज में गायनेकोलॉजी (स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ) की थर्ड ईयर की स्टूडेंट बालासरस्वती के पति ने उसके द्वारा की गई आत्महत्या का कारण बताया। पति ने अपने बयान में कहा कि कॉलेज में उसे प्रताड़ित किया जा रहा था। गर्भवती होने के बावजूद 36-36 घंटे की ड्यूटी लगा दी जाती थी।
डॉक्टर सरस्वती की मौत के लिए डिपार्टमेंट की तीन महिला डॉक्टर जिम्मेदार
पति जयवर्धन चौधरी ने बताया कि, बालासरस्वती से 36-36 घंटे ड्यूटी कराई जाती थी। उसके थीसिस स्वीकार नहीं किए जा रहे थे। उसको 6 महीने का एक्सटेंशन दिया गया था। पूर्व में पत्नी ने मेडिकल लीव ली थी, जिसे अप्रूव नहीं किया गया। इतना ही समय एक्सटेंशन के नाम पर बढ़ा दिया गया। उसे जूनियर्स के सामने नजर अंदाज किया जाता था। सरस्वती मुझे हर एक बात बताती थी। उसे कामचोर कहा जाता था। इसी कारण बेहद डिप्रेशन में रहती थी। मेरी पत्नी की मौत के लिए केवल उसके डिपार्टमेंट की तीन महिला डॉक्टर जिम्मेदार हैं। जयवर्धन ने पुलिस को उन तीनों महिला डॉक्टरों के नाम भी बताए हैं।
जयवर्धन ने बताया कि, रविवार को बाला और मैं घूमने गए थे। हबीबगंज के एक होटल में लंच किया था। अचानक पत्नी की ड्यूटी का मैसेज देखा तो शाम सवा चार बजे लौट आए। पत्नी अस्पताल चली गई। ड्यूटी से लौटने के बाद उसने मूवी देखी। साथ खाना खाया। दोनों एक ही रूम में सो रहे थे, कब सरस्वती उठकर दूसरे रूम में चली गई? पता नहीं चला। सुबह 6.55 पर उठा तो सरस्वती, पूजा वाले रूम में एक करवट सो रही थी। पास जाकर देखा तो उसके होंठ नीले हो चुके थे। तभी समझ में आ गया था कि उसने कुछ गलत कर लिया है।
कॉल कर साले शेशू को घटना की जानकारी दी। पड़ोस में रहने वाले आसिम भाई को मदद के लिए बुलाया। वे ऑटो लेकर आए। मैं सरस्वती को लेकर हमीदिया अस्पताल पहुंचा। डॉक्टरों ने चेक करने के बाद में उसे मृत घोषित कर दिया।
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