मध्यप्रदेश के इंदौर शहर में विजय नगर थाना पुलिस ने एक ऐसी बेनामी संस्था के संचालकों को पकड़ा है जो विद्यार्थियों को नाम मात्र की फीस पर रेगुलर डिग्री उपलब्ध करा रही थी। स्टूडेंट्स को कॉलेज जाने की जरूरत नहीं। यहां तक की परीक्षा देने की जरूरत भी नहीं थी। पुलिस पता कर रही है कि, इनमें से कितनी डिग्री किस यूनिवर्सिटी से बन कर आई है और क्या फर्जी मार्कशीट और डिग्री छापने का काम चल रहा था।
मेडिकल से संबंधित कोर्स में सबसे ज्यादा एडमिशन
पकड़े गए संस्था संचालकों के नाम दिनेश तिरोले और मनीष राठौर बताए गए हैं। पुलिस ने दोनों को रिमांड पर लिया था। दोनों शिक्षक हैं। आने वाले विद्यार्थियों को दिल्ली, बिहार, यूपी, राजस्थान और पंजाब के बड़े कॉलेजों में एडमिशन दिलाते थे। सबसे ज्यादा B.H.M.S., B.A.M.S., B.PHARMA, M.PHARMA, D.PHARMA, G.N.M., LABE TECH. कोर्स में एडमिशन करवाए हैं।
इंदौर पुलिस के सामने कई चुनौतियां
इंदौर पुलिस ने दावा किया है कि पकड़े गए दोनों शिक्षक फर्जी मार्कशीट छापते थे। इस बयान के साथ ही इंदौर पुलिस के सामने कुछ नई चुनौतियां आ खड़ी हुई हैं। इंदौर पुलिस को उन सभी विद्यार्थियों का पता लगाना होगा, जिन्होंने इन दोनों शिक्षकों की मदद से कोई डिग्री हासिल की है। यह बेहद जरूरी है क्योंकि हो सकता है, इस समय जबकि आप यह न्यूज़ पढ़ रहे हैं, इनके सिस्टम से डॉक्टर बनना कोई व्यक्ति किसी मरीज की जान से खेल रहा होगा। इन्हें रोकना जरूरी है क्योंकि फर्जी डॉक्टर की लापरवाही से मरीज की मौत पर भी धारा 302 के तहत मुकदमा दर्ज नहीं होता।
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