आदरणीय महोदय जी, सादर नमस्कार! विगत 1 माह से म.प्र के अतिथिशिक्षक माननीय मुख्यमंत्री जी की विकास यात्रा मे बड़ी संख्या मे उपस्तिथि दर्ज करा रहे है व स्वागत अभिवादन कर रहे है क्योंकि विगत 1 माह मे माननीय मुख्यमंत्री जी कई बार अतिथिशिक्षकों का भविष्य संवारने की बात कर चुके है पर अभी तक अतिथिशिक्षक महापंचायत का आदेश जारी नहीं किया गया है जिससे अतिथिशिक्षक अधीर हो रहे है अतिप्रसन्नता व अधीरता दुख का कारण होती है जिससे अतिथिशिक्षक कोई ऐसी गलती न कर बैठे जिससे माननीय मुख्यमंत्री जी गडकरी जी की सभा की तरह अतिथिशिक्षकों से नाराज हो जाये इसलिये माननीय मुख्यमंत्री जी को शीघ्र अतिथिशिक्षक महापंचायत का आदेश जारी कर देना चाहिये ताकि अतिथिशिक्षक उत्साहहीन न हो अधीर न हो व माननीय मुख्यमंत्रीजी के वक्तव्य की गरिमा भी बनी रहे ताकि 11 मई 2013 रायसेन अंत्योदय मेले मे की गई माननीय मुख्यमंत्री जी की अतिथिशिक्षकों को संविदा शिक्षक बनाने की कोरी घोषणा की पुनरावृत्ति न हो पाये।
अतिथिशिक्षक नियमितिकरण के संबंध मे नीति
सरकार को जो देना है अतिथिशिक्षकों को उसके संबंध मे सरकार नियमसम्मत निर्णय स्वविवेक से ही ले पायेगी या तो सरकार हरियाणा, दिल्ली, छत्तीसगढ़ की तरह म.प्र मे अतिथिशिक्षक नीति बनाये अथवा आरटीई के अनुसार न्यायसंगत नीति बनाकर 2005,8,11,22 की परीक्षा मे से किसी एक परीक्षा को अनुकंपा नियुक्ति की भांति आधार बनाकर प्रशिक्षित अतिथिशिक्षकों का नियमितिकरण वर्ग 3 प्राथमिक शिक्षक पद पर करके गुरूजी की भांति उनको नियमित कर दे यदि वे बीएड है तो उनको वर्ग 2 की परीक्षा 2005,8,11,18 के आधार पर वर्ग 2 मे नियुक्ति देकर प्राथमिक शिक्षक का वेतन देती रहे जिससे उनकी सेवा को सम्मान मिल सके क्योंकि अतिथिशिक्षक संवर्ग की हालत अत्यंत दयनीय है। म.प्र मे 1.25 लाख प्राथमिक शिक्षक पद रिक्त है जिनकी पूर्ति भी हो जायेगी।
प्राथमिक शिक्षक भर्ती से बीएड को बाहर करें
म.प्र मे राजस्थान हाईकोर्ट द्वारा 25 नबंबर 2021 मे एनसीटीई का गजट नोटिफिकेशन निरस्त करने व मामला सुप्रीम कोर्ट मे होने के बाद भी शासन ने प्राथमिक शिक्षक पद पर बीएड आवेदकों को नियुक्ति देकर डीएड, डीएलएड आवेदकों की उपलब्धता के बावजूद उनको नजरअंदाज कर आरटीई व शिक्षा के अधिकार का उल्लंघन किया साथ ही क्वालिटी एजुकेशन का संविधान प्रदत्त मौलिक अधिकार का हनन किया जिससे विसंगति उत्पन्न हो गयी है इससे एक तरफ गुणवत्ता पूर्ण प्राथमिक शिक्षा के मौलिक अधिकार का हनन हुआ वहीं डीएड, डीएलएड छात्रों के भविष्य से सरकार ने खिलवाड़ किया न्याय का तकाजा यह कहता है कि इनको इनका अधिकार मिले व छात्रों को गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा इसलिए तत्काल बीएड को प्राथमिक शिक्षा से बाहर किया जाये व उच्चतम न्यायालय के आदेश का पालन करते हुये प्रथम व द्वतीय काउंसलिंग मे चयनित बीएड आवेदकों की नियुक्ति निरस्त की जाये व डीएड, डीएलएड से पदपूर्ति हेतु शीघ्र काउंसलिंग प्रारंभ की जाये अथवा उतने ही नवीन पद सृजित कर डीएड, डीएलएड को मौका दिया जाये। सादर धन्यवाद, आशीष कुमार।
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