अक्सर प्राकृतिक आपदाओं के कारण किसानों की फसल बर्बाद हो जाती है। वह सरकार से अपनी फसल के नष्ट होने के बदले प्रतिकर प्राप्त करता है। बहुत से स्थानों पर हम सुनते है की किसान की शासकीय बाजार मूल्य के अनुसार पांच हजार रुपए की फसल बर्बाद हुई थी लेकिन कुछ भ्रष्ट अधिकारियों की मिली भगत से 50 हजार प्रतिकर मिल जाता है। हाय यह जानते हैं कि ऐसे अधिकारी के खिलाफ किस कानून के तहत कार्यवाही की जाती है।
मध्यप्रदेश विनिर्दिष्ट भ्रष्ट आचरण निवारण अधिनियम,1982 की धारा 17 की परिभाषा
वो कोई व्यक्ति किसी कानून के अधीन सशक्त अधिकारी होते हुए या आदेश द्वारा बेईमानीपूर्वक आशय से:-
1. ऐसा अनुदान निर्धारित करेगा जो इतना अधिक है की अर्जित संपत्ति के बाजार मूल्य से बहुत अधिक अनुपातिक हैं। या
2. किसी अस्तित्वहीन या बनावटी संपत्ति के लिए या किसी कल्पित व्यक्ति के लिए प्रतिकर निर्धारित या अधिनिर्णीत करेगा।
तब ऐसे व्यक्ति के विरुद्ध उपर्युक्त धारा 17 के अनुसार कार्यवाही की जाएगी।
नोट:- इस अधिनियम के अंतर्गत यह अतिरिक्त कार्यवाही होगी एवं साथ मे भारतीय दण्ड संहिता के अंतर्गत भी दण्ड अलग से अधिरोपित होगा।
Madhya Pradesh Specified Corrupt Practices Prevention Act, 1982 Section 17 Punishment
यह अपराध संज्ञेय एवं जमानतीय अपराध है इनका विचारण सेशन कोर्ट द्वारा किया जाता है लेकिन पुलिस थाने के भारसाधक अधिकारी की कार्यवाही करने से पहले समुचित सरकार या प्राधिकृत अधिकारी से आदेश प्राप्त करना होगा। सजा- इस अपराध के लिए अधिकतम तीन वर्ष की कारावास या जुर्माने या दोनो से दण्डित किया जा सकता है। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article) :- लेखक ✍️बी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं विधिक सलाहकार होशंगाबाद) 9827737665
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