किसी भी विभाग में दस्तावेजों का सत्यापन बहुत महत्वपूर्ण कार्यवाही होती है क्योंकि यह कार्यवाही व्यक्ति द्वारा प्रस्तुत फाइल की सत्यता को बताती है। अगर हम बात करे लोन संबंधित प्रकरणों की तो इनमें दस्तावेजों का सत्यापन बहुत जरूरी एवं महत्वपूर्ण होता है वो इसलिए की किसी अनजान या झूठे फर्जी व्यक्ति को ऋण उपलब्ध न हो जाए। अगर कोई भारसाधक अधिकारी जानबूझकर कर दस्तावेजों के सत्यापन में लापरवाही करता है या झूठा सत्यापन कर देता है तब उसके खिलाफ क्या कार्यवाही होगी जानिए।
मध्यप्रदेश विनिर्दिष्ट भ्रष्ट आचरण निवारण अधिनियम,1982 की धारा 23 की परिभाषा
जो कोई व्यक्ति किसी उधार लोन के मामले में या सब्सिडी लोन के मामले के में झूठी रिपोर्ट का सत्यापन करेगा, या सत्यापित करके लोन को मंजूर करेगा ऐसा अधिकारी उपर्युक्त अधिनियम की धारा 23 के अंतर्गत दोषी होगा।
Madhya Pradesh Specified Corrupt Practices Prevention Act, 1982 Section 23 Punishment
यह अपराध संज्ञेय एवं जमानतीय अपराध है,पुलिस अधिकारी तुरंत एफआईआर द्वारा मामले का संज्ञान लेगा, इनका विचारण किसी भी न्यायिक मजिस्ट्रेट या सेशन कोर्ट द्वारा किया जा सकता है सजा- इस अपराध के लिए अधिकतम एक वर्ष की कारावास या जुर्माने या दोनो से दण्डित किया जा सकता है। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article) :- लेखक ✍️बी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं विधिक सलाहकार होशंगाबाद) 9827737665
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