Legal general knowledge and law study notes
मध्य प्रदेश भू राजस्व संहिता के अनुसार समस्त भूमि का स्वामी मध्यप्रदेश शासन है, एवं लोगों को एक निर्धारित उपयोग के लिए भूमि की रजिस्ट्री अथवा पट्टा आदि दिया जाता है। रजिस्ट्री हो या पट्टा अथवा अन्य कोई लीगल डॉक्यूमेंट परंतु स्पष्ट रूप से लिखा होता है कि यह भूमि कृषि कार्य के लिए है, रेजिडेंशियल उपयोग के लिए है अथवा कमर्शियल यूज के लिए। कलेक्टर के पास पूरे जिले का नक्शा होता है और उसमें भी स्पष्ट प्रदर्शित होता है कि जमीन के टुकड़े का किस प्रकार से उपयोग किया जा सकता है। सिर्फ कलेक्टर अथवा उसके द्वारा निर्धारित प्रतिनिधि अधिकारी को लैंड डायवर्शन का अधिकार होता है। यदि कोई व्यक्ति अपनी मर्जी से, कलेक्टर की अनुमति के बिना अपनी जमीन का उपयोग बदल देता है। पढ़िए ऐसे व्यक्ति के खिलाफ क्या कानूनी कार्रवाई होती है।
मध्यप्रदेश विनिर्दिष्ट भ्रष्ट आचरण निवारण अधिनियम, 1982 की धारा 25 परिभाषा
कॉलोनी निर्माण करने वाला कोई व्यक्ति जो मध्यप्रदेश भू-राजस्व संहिता, 1959 की धारा 172 के या उसके अधीन बनाये गए नियमों का पालन नहीं करता हैं एवं किसी भूमि या उसके भाग को परिवर्तन कर देता है। कृषि भूमि पर प्लॉट काटकर उसे रेजिडेंशियल उपयोग के लिए बेच देता है अथवा किसी कृषि भूमि अथवा रेजिडेंशियल लैंड का कमर्शियल यूज़ शुरू कर देता है तब वह व्यक्ति अवैध भूमि परिवर्तन के अपराध का दोषी होगा।
Madhya Pradesh Specified Corrupt Practices Prevention Act, 1982 Section 25 Punishment
यह अपराध संज्ञेय एवं जमानतीय अपराध है, पुलिस अधिकारी तुरंत एफआईआर द्वारा मामले का संज्ञान लेगा, इनका विचारण किसी भी न्यायिक मजिस्ट्रेट या सेशन कोर्ट द्वारा किया जा सकता है इस अपराध के लिए अधिकतम तीन वर्ष की कारावास या जुर्माने या दोनों से दण्डित किया जा सकता है। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article) :- लेखक ✍️बी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं विधिक सलाहकार होशंगाबाद) 9827737665
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