मध्य प्रदेश के ग्वालियर में मंदिरों के नाम माफी की जमीन का बड़ा घोटाला पकड़ने वाले अधिकारी श्री सत्य प्रकाश शुक्ला का अशोकनगर ट्रांसफर कर दिया गया है। कहने को तो प्रत्येक ट्रांसफर प्रशासनिक व्यवस्था होती है परंतु कर्मचारियों के बीच माना जा रहा है कि श्री शुक्ला को घोटाले का खुलासा करने के कारण लूप लाइन में भेज दिया गया है।
उल्लेखनीय है कि ग्वालियर के मंदिरों के नाम दर्ज माफी की जमीन में से 40 हेक्टेयर जमीन ग्वालियर के प्रभावशाली लोगों के नाम दर्ज हो गई थी। जमीन का न्यूनतम बाजार मूल्य ₹1200 है। सब कुछ बड़े गोपनीय तरीके से चल रहा था। किसी भी ऐसे व्यक्ति को कानो कान खबर नहीं होने दी जा रही थी, जो किसी भी प्रकार की आपत्ति उठा पाता। मामले की जानकारी केवल उतने ही लोगों को थी जो इसमें शामिल थे। सरकारी दस्तावेजों में प्रभावशाली लोगों के नाम दर्ज हो गए थे। कुछ समय बाद कब्जा कर लिया जाता और फिर उस जमीन को मुक्त कराना, लगभग नामुमकिन हो जाता। ग्वालियर में जमीनों के विवाद कई दशकों से चल रहे हैं। कुछ मामलों में वादी एवं प्रतिवादी की मृत्यु हो चुकी है और कुछ मामले ऐसे हैं जिनमें दोनों पक्ष केस लड़ते-लड़ते बूढ़े हो गए।
संभागीय माफी अधिकारी श्री सत्य प्रकाश शुक्ला को जैसे ही इसके बारे में जानकारी मिली उन्होंने अपने स्तर पर छानबीन करना शुरू किया और सभी जरूरी एविडेंस कलेक्ट करने के बाद इसकी जानकारी सीधे कमिश्नर ग्वालियर को दी। श्री शुक्ला के रिपोर्ट के आधार पर कलेक्टर ग्वालियर को मामले की जांच के आदेश देने पड़े। जांच पूरी होने से पहले श्री शुक्ला का ट्रांसफर कर दिया गया।
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