जबलपुर स्थित हाई कोर्ट ऑफ मध्य प्रदेश ने बालाघाट में एक वेयरहाउस के अधिग्रहण मामले में कलेक्टर को तुगलक बताते हुए ₹25000 की कॉस्ट लगाई है। उल्लेखनीय है कि वेयरहाउस को अधिग्रहित करने का आदेश डॉ गिरीश कुमार मिश्रा आईएएस द्वारा जारी किया गया था।
याचिकाकर्ता की कहानी
याचिकाकर्ता के अधिवक्ता श्री प्रभांशु शुक्ला ने बताया कि वित्तीय वर्ष 2022-23 में सरकार द्वारा धान के भंडारण के लिए PMS स्कीम चलाई गई थी। इस योजना के तहत वेयरहाउस के रखरखाव की जिम्मेदारी संचालकों को दे दी गई थी। याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट को बताया कि वेयरहाउस से सरकार द्वारा समय पर धान का उठाव नहीं करवाया गया। इसके कारण कुछ धान खराब हो गई। इसकी वसूली वेयरहाउस संचालक से की जाती है। याचिकाकर्ता इस शर्तो से संतुष्ट नहीं था इसलिए उसने सरकार से अनुबंध करने से इंकार कर दिया। इसके बाद दिसंबर 2022 में कलेक्टर ने बिना किसी सूचना के वेयरहाउस को अधिग्रहित कर लिया।
मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने सभी पक्षों को सुनने के बाद विद्वान न्यायाधीश जस्टिस विवेक अग्रवाल ने बालाघाट कलेक्टर पर ₹25000 की कॉस्ट लगाते हुए कहा कि, कलेक्टर बालाघाट ने आधुनिक युग के तुगलक जैसा काम किया है। उनका यह काम याद दिलाता है कि ऐतिहासिक तुगलक आज भी जिंदा है। हाईकोर्ट ने कलेक्टर द्वारा वेयरहाउस को अधिकृत किए जाने के आदेश को निरस्त कर दिया है।
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