केंद्रीय मंत्री श्री ज्योतिरादित्य सिंधिया अपने भाषणों में कहते हैं कि उनका सारा जीवन जनता की सेवा के लिए समर्पित है। उनके समर्थक कहते हैं कि श्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के पास इतनी संपत्ति है कि उसे गिना नहीं जा सकता, लेकिन उनका कमलाराजे ट्रस्ट जनहित में उपयोग की गई एक जमीन के टुकड़े पर अपना अधिकार जताते हुए 7.5 करोड़ रुपए मुआवजे की मांग कर रहा है। इसी मामले में मध्यप्रदेश शासन ने हाई कोर्ट में अपील पेश की है।
मामला क्या है संक्षिप्त में समझिए- ग्वालियर का एजी ऑफिस पुल विवाद
कमलाराजे चैरिटेबल ट्रस्ट ने ग्वालियर जिला कोर्ट में 2018 में एजी आफिस पुल की जमीन को लेकर दावा पेश किया है। ट्रस्ट की ओर से तर्क दिया गया है कि उनकी भूमि पर शासन ने रेलवे ओवर ब्रिज का निर्माण कर दिया गया है। इसलिए इस जमीन का अधिग्रहण का प्रस्ताव तैयार किया जाए, जिससे जमीन का मुआवजा मिल सके। वादगस्त भूमि का 7 करोड़ 55 हजार रुपये 12 प्रतिशत ब्याज के साथ दिलाया जाए। वाद में तर्क दिया है कि 31 दिसंबर 1971 को विजयराजे सिंधिया ने ट्रस्ट का गठन किया था। विजयराजे सिंधिया ने वादग्रस्त भूमि ट्रस्ट को दी थी। जमीन पर किए गए निर्माण पर रोक लगाई जाए।
मामले के हाइलाइट्स
- शासन की तरफ से पैरवी करने के लिए अधिवक्ता श्री घनश्याम मंगल को नियुक्त किया गया। बाद में पता चला कि श्री घनश्याम मंगल तो 19 मामलों में श्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के अधिकृत अधिवक्ता हैं। यानी सिंधिया के खिलाफ केस लड़ने के लिए सिंधिया का वकील नियुक्त कर दिया। खुलासा होने के बाद हटा दिया गया।
- ग्वालियर जिला न्यायालय ने शासन को कई बार उनका पक्ष रखने के लिए कहा, लेकिन शासन ने न्यायालय में अपना पक्ष नहीं रखा। शासन की तरफ से कोई ऐसा दस्तावेज पेश नहीं किया गया जो यह प्रमाणित करता हो कि विवाद ग्रस्त जमीन शासन की है।
- शासन द्वारा जवाब नहीं देने पर जिला न्यायालय ने शासन के जवाब पेश करने के अवसर समाप्त कर दिए और मामले की सुनवाई आगे बढ़ा दी।
- अब मध्यप्रदेश शासन ने हाई कोर्ट में अपील दाखिल की है।
ग्वालियर राजस्व विभाग के अधिकारियों का कहना है कि, उनके पास पर्याप्त दस्तावेज हैं जो यह प्रमाणित करते हैं कि विवाद ग्रस्त जमीन सरकारी है, लेकिन जब तक ऊपर से आदेश नहीं होगा वह कुछ नहीं कर सकते क्योंकि वह इस मामले में किसी भी प्रकार का हस्तक्षेप करने के लिए अधिकृत नहीं है।
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